मेरी दास्तान ए सुहागरात

नमस्कार मित्रो, मैं मनीष उम्र 37 वर्ष अन्तर्वासना का बहुत पुराना पाठक हूँ.
इस साइट की बहुत सारी कहानियों को पढ़ते हुये अपनी तमाम फंटासी मैंने पूरी की हैं.

आज पहली बार अपना अनुभव कहानी के रूप में मैं आप लोगों के लिए लिख रहा हूँ. आप पढ़कर आनंद लें.
यदि मजा आए तो मेल के माध्यम से मेरा उत्साहवर्धन जरूर करें जिससे मैं आगे और भी अपने अनुभव को आपके लिए कहानी के रूप में प्रस्तुत कर सकूँ.

यह हॉट वर्जिन Xxx फक स्टोरी मेरे और मेरी नई नवेली अनछुई कमसिन पत्नी के साथ सुहागरात की है.
इस कहानी में कोई भी चीज काल्पनिक या बनावटी नहीं होगी.

सन 2014 मेरी शादी के समय मेरी उम्र 28 वर्ष थी.
मेरी हाइट 5’6″, शरीर स्वस्थ व रंग गेहूँआ तथा लन्ड का साइज 6.5 इंच लंबा व 3 इंच मोटा है. हल्का सा ऊपर को टेढ़ा और आगे के हिस्से पर स्ट्राबेरी के डिजाइन का टोपा सुसज्जित हो रहा है.

मेरी पत्नी का नाम गीतांजलि है, उम्र 21 वर्ष, रंग दूधिया गोरा, गुलाबी गाल, कजरारी बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाब की पंखुड़ियों से नर्म सुर्ख गुलाबी होंठ, लम्बे काले बाल, चूचियों का साइज 28 इंच, कमर 26 इंच और चूतड़ों का साइज 28इंच था. जो 9 वर्षों से चुदते चुदाते अब 34-30-34 के हो गए हैं.

खूबसूरत लम्बे हाथ, सुडौल मांसल चिकनी टांगें … मतलब वह सब कुछ उसमें था जो एक पुरुष एक लड़की में देखना चाहता है.

सबसे पहले मैं आपको बता दूँ कि शादी से पहले मेरा एक बंगालन भाभी से 9 वर्ष पुराना सेक्स संबंध भी था जिससे मुझे सेक्स का तो पूरा अनुभव प्राप्त था.
लेकिन किसी कुँवारी कच्ची कली की सील तोड़ने के बारे में कोई ज्ञान नहीं था.
फिर भी मुझे विश्वास था कि मैं सब कुछ कर सकता हूँ.

मित्रो, मुझे आज भी उस रात की एक-एक चीज बहुत अच्छी तरह से याद है.
28 फरवरी 2014 मेरी सुहागरात थी.

मेरा घर दो मंजिला बना है जिसमें नीचे के तीन कमरों में मेरे मम्मी पापा व भाई बहन रहते हैं और मेरा कमरा ऊपर के मंजिल पर है.

मैं सुबह से ही रात होने का नीचे इन्तजार कर रहा था.

तभी मेरी बहन का फोन मेरे मोबाइल पर आया और मुझे ऊपर बुलाया.

मैं अपनी मनोदशा को काबू में करते हुये अपने कमरे के दरवाजे पर पहुंचा.
तो मेरी बहन नेग के लिए मेरा रास्ता रोके खड़ी थी.

मैंने झट से पहले से अपने जेब में रखी हुई सोने की अंगूठी उसे दी, तब वह रास्ते से हटी और मुस्कराती हुई नीचे चली गई.

कमरे में जाते ही सबसे पहले मैंने दरवाजा बंद किया. कमरे में घुसते ही गुलाब के फूलों की खुशबू के साथ परफ्यूम की मिली जुली खुशबू मेरी नाक में घुसती चली गई.

अब चूँकि सुहागरात थी तो कमरे की सजावट फूलों से गई थी और कमरे में एयर फ्रेशनर भी छिड़का हुआ था.

कमरे में लाइट जल रही थी, बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछाई हुई थी और पूरे बेड को बेला और चमेली के फूलों की लड़ियों से ढक दिया गया था.
उसी के बीच मेरी कमसिन कच्ची कली, जो मुझे सुहागरात की पहली चुदाई करने पर पता चला कि वह अभी अनछुई थी.

प्रिय पत्नी गीतांजलि गुलाबी रंग का लहंगा पहने अपने घुटनों को ऊपर की ओर मोड़ कर लंबा घूँघट लिए बैठी थी.
अब चूंकि वह घूँघट में थी तो वह तो मुझे देख सकती थी पर मैं उसका चेहरा नहीं देख पा रहा था.

मेरे पहुँचते ही वह धीरे से बिस्तर से उतर कर आई और मेरे पैर छुए.
मैंने उसे कंधे से पकड़ कर उठाया.

उसके कंधों को मेरे छूते ही उसके शरीर होने वाली सिहरन को मैं महसूस कर रहा था.
फिर मैंने उसके चेहरे को ऊपर उठाते हुये उसके घूँघट को हटा दिया और अपनी जेब से निकाल कर एक खूबसूरत सा सोने का हार उसके गले में पहना कर उसके माथे को अपने होंठों से चूम लिया.

मेरे इस प्रथम चुम्बन करने से वह किसी पुरुष के छुअन को महसूस करती हुई अंदर से कंपकपा गई जिसे मैंने महसूस किया.
खड़े खड़े ही मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके पीठ पर हाथ फेरने लगा.

वह मेरी छाती में सिमटती चली जा रही थी.

रात के सन्नाटे में सिर्फ हम दोनों की लंबी चलती सांसें और दीवाल पर लगी घड़ी की टिक-टिक की आवाज ही सुनाई पड़ रही थी.

काफी देर हम दोनों एक दूसरे को बांहों में पकड़े एक दूसरे को महसूस करते रहे.

फिर मैंने उसे ड्रेसिंग के पास ले जाकर खड़ा किया और उसके पीछे आकर उसे फिर अपने आगोश में भर लिया.
और तब मैंने उसके कंधों पर अपने होंठों से चूमना शुरू किया तो उसका शरीर फिर कसमसाने लगा.

मैं अपना एक हाथ उसकी बगल से निकाल कर उसकी दाहिनी चूची पर फेरने लगा.
उसकी आंखें बोझिल होकर बंद होती जा रही थी.

मैंने उसे अपनी ओर घुमाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और एक लंबा चुम्बन करने के बाद उससे अलग हो गया.

फिर अलमारी खोलकर मैंने एक नाइट ड्रेस निकालकर उसे देते हुये कहा- बाथरूम में जाकर चेंज कर लो!
इतना सुनते ही वह कपड़े लेकर कमरे के अटैच बाथरूम में चली गई.

मैं वहीं उसके वापस आने का इंतजार करने लगा.

लगभग पंद्रह मिनट बाद बाथरूम का दरवाजा खुला.
और उसे देखकर मेरा मुंह भी खुला का खुला रह गया.

इतनी टाइट ड्रेस में उसका एक-एक अंग अपने असली साइज को नुमाया कर रहा था.
ड्रेस का लो कट गला जिसमें से उसकी टाइट अमरूद के साइज की छोटी छोटी चूचियाँ झांक रही थी.
स्लीवलेस ड्रेस में उसकी बिना बालों वाली काँख ने तो मुझे उन्मादित करने की कोई कसर ही नहीं छोड़ रखी थी.

उसका सपाट पेट ओर नाभि स्थल साफ चमक रहा था.
ड्रेस की लंबाई उसकी जांघों को मात्र 6 इंच ही छिपा पा रही थी.

नीचे उसकी एकदम गोरी सुडौल अपने गोरे रंग की चमक बिखेरती लंबी लंबी चिकनी टांगें जैसे कह रही हों कि ‘आओ और मुझे चाट लो!’

उसके 28 इंच के एकदम कसे हुये गोलाई लिए चूतड़ों का तो कहना ही क्या … जिन्हें देखने के बाद बिना छूये कोई रह न पाये.

नीचे उसने अपनी बुर को छिपाने के लिए एक पैंटी पहन रखी थी.

खैर मैं भी अपना तौलिया और एक बरमूडा लेकर बाथरूम में घुस गया.

करीब 10 मिनट बाद मैं बरमूडा और एक टीशर्ट पहन कर बाहर आया तो गीतांजलि ड्रेसिंग के सामने स्टूल पर बैठी अपने आप को निहार रही थी.

मैंने पीछे से जाकर उसके गालों को अपनी हथेलियों से सहलाना शुरू कर दिया.
उसने मेरे हाथों पर अपने हाथ रख लिए और ड्रेसिंग के शीशे में वह मुझे और मैं उसे देखने लगा.

तभी मेरी नजर सामने लगी घड़ी पर गई जो 12 बजाने वाली थी.

अब मैंने देर न करते हुये उसे खड़ा किया और अपनी बांहों में भर लिया.
फिर उसे गोद में उठाकर फूलों से सजी सुहाग सेज पर जाकर लिटा दिया.

मैं भी उससे लिपटकर साथ में लेट गया और उसके बदन को सहलाने लगा.

कुछ ही देर में मेरी उंगलियों के कमाल से उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी.
वह अपने हाथों से मेरे सर के बालों को सहलाने लगी.

धीरे-धीरे वह पुरुष छुअन को महसूस करके गर्म होने लगी.
कमरे में हल्की रोशनी देने वाला बल्ब जल रहा था, जिसकी रोशनी में मैं उसकी मदहोशी से बंद होती आँखों को देख रहा था.

मुझे लगा कि अब सही समय आ गया है.
और मैंने उसके कन्धों पर बंधी ड्रेस की डोरी खींच कर खोल दी.

डोरी खुलते ही एक बार उसने अपनी आंखें खोली और मेरी ओर देखकर फिर से बंद कर ली.

मेरे हाथ उसके कंधे पर रेंगने लगे और रेंगते हुये उसकी चूचियों का जायजा लेने लगे जो अब पहले से भी कठोर हो गई थी.

आहिस्ता से मैंने उसकी ड्रेस को नीचे की तरफ सरका कर कमर के पास पहुंचा दिया.
अब लाल रंग की ब्रा में कैद उसकी अमरूद जैसी नुकीली चूचियाँ बिल्कुल तनी खड़ी थी जिन्हें देखकर मेरे भी लन्ड में भी सनसनाहट होने लगी थी.

मैं अपना एक हाथ उसके बालों में फिराते हुये दूसरा हाथ उसके पेट पर फेरने लगा और नाभि को उंगली से प्यार से कुरेदने लगा.
मेरे इतना करते ही वह अपने पैरों की ऐड़ियों को आपस में रगड़ने लगी और आह-आह-उह-उह करने लगी.

थोड़ी देर उसके बदन को अपने हाथों से सहलाने के बाद मैं उठ कर बैठ गया और उसकी ड्रेस को पूरी तरह से उसके बदन से अलग कर दिया.

अब मैं उसे पूरी तरह नंगी कर देना चाहता था और उसके शरीर के एक-एक अंग का अपनी आँखों से दीदार कर लेना चाहता था.

यह सोचकर जैसे ही मैंने उसकी ब्रा उतारनी चाही, उसने मुझे रोकर कहा- क्या सारे कपड़े उतारने जरूरी हैं? मुझे शर्म आ रही है!

तो मैंने उसके माथे को चूमते हुये कहा- हमारे तुम्हारे बीच अब शर्म कैसी? अब तुम मेरी पत्नी हो और तुम्हें संसार के सारे सुख देने की ज़िम्मेदारी मेरी है. और इस सुख को कपड़े पहने हुये नहीं लिया जा सकता. इसलिए कपड़े उतारना जरूरी है.

मेरे इतना कहते ही उसने मुझे मौन सहमति प्रदान कर दी और मैं आगे बढ़ा और उसके ब्रा के हुक खोलकर ब्रा को उसके बदन से अलग कर दिया.

ब्रा उतरते ही मैंने जो देखा … तो देखता ही रह गया.
गर्दन के नीचे दो छोटे-छोटे बिल्कुल गोलाकार दो गेंद जिनके ऊपर बीचों बीच दस रुपए के सिक्के के बराबर हल्के गहरे गुलाबी रंग का गोला और उसके बीच छोटे अंगूर साइज के सुर्ख लाल रंग लिए हुये बिल्कुल सीधे तने हुये निप्पल!

जिनको एकटक मेरा देखना वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और मुझे अपनी ओर खींच कर अपनी बांहों में भर लिया.
जिससे उसकी चूचियाँ निप्पल सहित मेरी छाती में समा गई.

थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने अपने आप को उससे अलग किया और बेड से नीच उतर गया.
मैंने उसे भी उतार कर खड़ा कर दिया.

खड़े-खड़े ही मैंने गीतांजलि को अपनी बांहों में भर लिया और चूमने सहलाने लगा.
जब उसका सब्र जवाब दे गया तो वह अपने होंठ मेरे होंठों से लगाकर मुझे चूमने लगी.

धीरे-धीरे मेरे हाथ नीचे की ओर बढने लगे और मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी गुलाबी पैंटी की इलास्टिक में फंसा दी जिसे वह तुरंत समझ गई और मेरा हाथ पकड़ कर कहने लगी- इसको मत उतारो, वरना मैं तो शर्म से मर ही जाऊँगी.
लेकिन मैं नहीं माना और एक ही झटके में उसकी पैंटी नीचे फर्श पर पड़ी थी.

उसकी आंखें मारे शर्म के बंद हो गई और उसने दोहरी ताकत से मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया.

अब मैं उसे नंगे बदन भरपूर नजर देखना चाहता था तो उसे अपने से अलग किया और थोड़ी दूर खड़े खड़े ही उसे निहारने लगा.

उसकी आंखें अभी भी बंद ही थी.

गीतांजलि को मैंने बड़े ध्यानपूर्वक ऊपर से नीचे तक निहारा.
लम्बा क़द, छरहरा शरीर, काले रंग के घने कंधों पर लहराते हुए सुन्दर बाल, गुलाब की पंखुड़ियों सरीखे होंठ, सुराहीदार गर्दन, छोटे-छोटे उभरे संतरे के आकार की गोलाकार चूचियाँ, बहुत ही आकर्षक हाथ और पैर, रंग ऐसा गोरा कि अंधेरे में भी उजाला हो जाए. शरीर की बनावट ऐसी कि स्वर्ग की अप्सराएँ भी शर्म खाएँ, बड़ी बड़ी कजरारी आँखें, त्वचा बिल्कुल साफ और रेशम जैसी चिकनी और मेकअप तो कोई था नहीं क्योंकि वह जब कपड़े चेंज करने गई थी तो बाथरूम से चेहरा धोकर आई थीl

खैर भगवान की दी हुई गज़ब की खूबसूरती के आगे उसे मेकअप करने की आवश्यकता भी नहीं थी.

लगभग दो घंटे से हम दोनों बंद कमरे में थे.

इतनी देर में मैं यह तो समझ चुका था कि मेरी गीतांजलि रानी को सेक्स या चुदाई का कोई ज्ञान नहीं था.
वह पूरी तरह से इन सब चीजों से अनजान थी.

मैंने गीतांजलि को अचानक से कस के बांहों में भींच लिया और उसका मुंह अपनी तरफ करके तपाक से अपने होंठ उसके गुलाबी होंटों पर सटा दिये।

वह अचकचा गई क्योंकि आज यह सब कुछ उसके साथ पहली बार हो रहा था.
वह समझ ना पा रही थी कि क्या करे!

लेकिन फिर भी उसने अपने आपको मेरे बाहुपाश से छुड़वाने का कोई प्रयास नहीं किया.
तो मैं समझ गया कि उसे भी अब मजा आने लगा था.

मुझे लगा कि उसके साथ कुछ करने से पहले अपने पुराने अनुभव के आधार पर कुछ सेक्स शिक्षा देने की आवश्यकता है.

यह सोचकर मैंने उसको सेक्स सेक्स का पाठ पढ़ाना शुरू किया और उसे बताया- गीतांजलि, अभी जो मैंने तुम्हारे साथ किया, वह चुम्बन कहलाता है। इसे बहुत देर देर तक किया जाता है. चुम्बन जितना ज़्यादा करेंगे, शरीर में उतनी ही उत्तेजना बढ़ेगी और हम सेक्स करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकेंगे. इसका पूरा मज़ा लेने के लिये एक दूसरे के मुंह में अपनी जीभ डालकर बारी बारी से मर्द और औरत एक दूसरे की जीभ चूसते हैं। इससे दोनों के मुंह का रस दूसरे के मुंह में चला जाता है जिससे प्यार बहुत तेजी से बढ़ता है.

इसके बाद मैंने गीतांजलि को मर्द और औरत के सेक्स संबंधी सभी अंगों जैसे लन्ड, लौड़ा, अंडकोष, चूत, चूची, चूचुक, गांड के बारे में बताया.

फिर मैंने उसे कहा कि सभी अंगों के नाम दोहराये।
मैं उसके मुँह से यह सब सुनना चाहता था.

उसने मेरे कहे अनुसार उन अंगों के नाम दोहराए उसके मुंह से लंड, लौड़ा, मर्द मक्खन, चूत, चूचुक इत्यादि शब्द सुन के मुझे बड़ा मज़ा आया।

गीतांजलि बहुत संकोच से शर्माती हुई ये सब शब्द बोल रही थी।
फिर मैंने अपनी भी टीशर्ट और बरमूडा उतार दिया और सिर्फ फ्रेंची पहने उसके सामने खड़ा था जिसमें से मेरा 6.5 इंच का खड़ा लौड़ा अपने उभार का प्रदर्शन कर रहा था.

फिर एक झटके में मैंने अपनी फ्रेंची भी उतार फेंकी और अब मैं और वह दोनों एक दूसरे का सामने मादरजात नंगे खड़े थे.
उसने शर्म के मारे अपनी नज़रें झुका लीं और कभी-कभी चोरी चोरी नजर उठाकर मेरे तने हुये कठोर लन्ड को अजीब सी नजरों से देख लेती.

शर्म से गीतांजलि का गोरा बदन गुलाबी हो रहा था, वह एक बाज़ू से अपना मुख ढकने की कोशिश कर रही थी और दूसरी से छातियाँ!

उसने अपनी आँखें कस के मींच ली थीं।

मैंने उसकी बाहों को अलग किया और कहा- अरे मेरी जान … ऐसे शर्माओगी तो कैसे काम चलेगा? अभी तो तुम्हारा यह फूल जैसा कोमल बदन मुझे चाटना है और फिर हमें हमारी सुहागरात मनानी है!

यह कहकर मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने सुलगते लन्ड पर रख दिया और उसे अपनी बांहों में भर लिया.

उसने मेरे लन्ड से हाथ तो नहीं हटाया पर कोई हरकत भी हाथों से नहीं कर रही थी.
उसके हाथ रखने मात्र से ही मेरे लन्ड की हालत खराब हो रही थी.

मुझे डर था कि कहीं मैं खड़े खड़े ही न झड़ जाऊं.
लेकिन ऐसा हुआ नहीं!

एक बार फिर मैंने उसके पूरे नंगे बदन जायजा अपनी आँखों से लिया.
फिर मैंने उसको अपनी गोद में उठाकर गुलाब की पंखुड़ियाँ बिछे बिस्तर पर बिल्कुल चित लिटा दिया, उसके नितंबों के नीचे एक तकिया और तकिये पर एक सफेद तौलिया बिछा दिया.

गीतांजलि की चूत अब ऊपर को उठ गई थी.
गुलाबी, गीली और कभी कभी उत्तेजना से थरथराती उसकी अति उत्तेजक चूत को देखकर मेरे शरीर में भी सनसनाहट होने लगी थी.

अब मैं ज्यादा देर तक बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं था।

गीतांजलि भी किसी अनजाने डर से भयभीत दिख रही थी.
डर के मारे उसके सुन्दर चेहरे का रंग बार बार बदल रहा था, बदन में कंपकंपी छूट रही थी।

मैंने उसे माथे पे चूम चूम कर उसका डर निकलने की कोशिश की, उसके कानों में प्यार से उसके सुंदरता और कमसिन बदन की तारीफ करनी शुरू की।

तब मैंने कमरे की लाइट कम कर दी और दोनों टेबल लैम्प को जला दिया।
उसकी नीली रोशनी पूरे बेड पर फैल रही थी.

मैं बिस्तर पर चढ़ कर गीतांजलि के बगल में लेट गया और बड़े प्यार से उसके नाज़ुक बदन पर हाथ फेरने लगा।
क्या कोमल शरीर था,एकदम मक्खन की तरह!

मैंने उसके पैरों की उंगलियों को अपने मुँह मे लेकर चूसना शुरू किया.
फिर उसके तलवों को चाटते हुये ऊपर की ओर बढ़ने लगा.

धीरे धीरे उसकी टांगों को चाटता हुआ मैं उसकी चूत तक जा पहुँचा।
मेरा लंड पूरे ज़ोरों पर उछल उछल कर पागल किये जा रहा था।

चूत के सामने अपना चेहरा लेजाकर मैं उसके चूत की बनावट को देखते हुये उसे निहारने लगा.

दोनों पुष्ट जांघों के बीच थोड़ी सी फूली हुई जिसके बीच में एक खूनी रंग का करीब तीन इंच का चीरा ही दिख रहा था.
झांट के बालों का कोई नाम निशान नहीं था, लग रहा था आज ही चूत की सफाई की गई है.

मैंने अपने हाथों से छूने की कोशिश की तो बेहद फिसलन महसूस हुई.
तब मैंने अपनी एक उंगली को बहुत हल्के से उस चीरे पर ऊपर से नीचे तक फेरी.

गीतांजलि के पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया.
उसने अपने होंठ भींच लिए और कम्पकापने लगी.

मैंने अपनी उंगली को हल्का सा दबाव दिया तो चूत का गीलापन महसूस हुआ और उंगली फिसल गई.

तब दुबारा कोशिश की मैंने तो थोड़ा सा अन्दर जाकर किसी सख्त चीज से टकरा गई.
मैंने महसूस किया कि शायद यह उसकी अनचुदी चूत की सील का पर्दा था,

मैं तो मन ही मन प्रफुल्लित हो गया कि आज एक सील पैक बुर चोदने जा रहा हूँ.
मतलब मेरी गीतांजलि अभी तक कुँवारी थी.

अब मैंने उसकी बुर को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया.
पहले उसके चीरे में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर अपनी जीभ फेरता रहा.

उसको भी अब बहुत मजा आ रहा था लेकिन नारी लज्जा वश कुछ कह नहीं पा रही थी, बस मुँह से सिसकारियाँ निकाल रही थी.

फिर मैंने अपने दोनों हाथों की मदद से उसके खजाने को खोल दिया जो बिल्कुल सुर्ख गुलाबी रंग लिए हुये था.

एक छोटा सा छेद ही नजर आया जिस पर मैंने जब अपनी जीभ का दबाव बनाया तो गीतांजलि सिहर उठी और उसके मुख से एक सीत्कार निकली.
और वह अकड़ गई, शायद झड़ गई थी.

उत्तेजना में उसने मेरे बाल पकड़कर मेरा चेहरा कसकर अपनी चूत पर दबा दिया.
और मैं उसकी चूत से बह रहे अमृत रस जो चिकना हल्का खट्टापन लिये हुए था, उसे चाट चाट कर पीता रहा.

चूत से निकला अमृत मेरी मस्ती को कई गुणा बढ़ाये जा रहा था.
गीतांजलि भी मस्ती में अजीब सी ‘आह … ऊह … आई …’ जैसी आवाजें निकाल रही थी.

मेरा बहुत मन था कि वह मेरे लन्ड को अपने मुंह में लेकर चूस ले.
लेकिन पहली रात थी तो मैंने सोचा फिर कभी देखेंगे.

अब हॉट वर्जिन Xxx फक का और इन्तजार करना मेरे लिए कठिन था तो मैं अब उठ कर गीतांजलि के जांघों के बीच आ गया जिससे मेरे घुटने उसकी जाँघों के इर्द गिर्द आ गये और लंड सीधा चूत के ऊपर!

मैंने लन्ड के सुपारे को उसकी बुर के चीरे में ऊपर से नीचे की ओर रगड़ना शुरू किया.
जिससे उसकी सांसें तेज हो गई.

फिर मैंने गीतांजलि के पैरों को थोड़ा सा खोल दिया.
गांड के नीचे तकिया लगे होने से मुझे बहुत आसानी से उसकी बुर के दर्शन भी हो रहे थे.

बुर एकदम ऊपर की ओर उठी हुई फूली सी दिख रही थी.
उसकी बुर के गुलाबी चीरे पर मेरा गहरे लाल रंग का स्ट्राबेरी के डिजाइन का सुपारा बहुत ही खूबसूरत लग रहा था.

सुपारे पर बिना दबाव बनाए मैंने झुककर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और चूसने लगा.
वह भी अपनी गर्मागर्म जीभ मेरे मुंह में डालकर मेरे मुंह का जायजा लेते हुये मेरे नीचे वाले होंठों को चूसने लगी.

मैंने अपने हाथों की हथेलियों में उसकी हथेलियों को फँसाकर उसके दोनों कंधों के अगल बगल रख लिया.
अब उसकी सीधी तनी दोनों संतरे के आकार की चूचियाँ कड़ी होकर मेरी छाती में चुभ रही थी.

कुछ देर मैंने उसके होंठों को चूसने बाद अपने लन्ड को एक झटका दिया.
और मेरा स्ट्राबेरी कट सुपारा उसकी बुर में समाकर अपनी जगह बनाकर ऐसा फिट हो गया कि लग रहा था कि अब न अन्दर जाएगा और न बाहर आएगा.
एकदम टाइट!

मैंने गीतांजलि के चेहरे को गौर से देखा.
उसके चेहरे पर हल्के दर्द को महसूस किया जा सकता था.

झटका लगते ही एक बार उसकी आंखें खुली और फिर से बंद हो गई.
वह कसमसाने लगी.
लेकिन मेरी मजबूत पकड़ और जकड़ के आगे वह कुछ कर नहीं पायी.

कुछ देर मैं ऐसे ही शांत उसके होंठों को चूसता रहा.

धीरे-धीरे वह भी होंठ चुसाई में मेरा साथ देने लगी.

फिर मैंने अपने नौ साल बंगालन के भाभी के साथ लिए हुये अनुभव के आधार पर महसूस किया कि अब सही समय आ गया है.
यह सोचकर मैंने अपनी कमर को पीछे की ओर उठाकर एक बहुत ही जोरदार झटका मारा और मेरा समूचा साढ़े छह इंच का लन्ड उसकी मासूम सी चूत की सील तोड़ता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया.

दर्द के मारे उसकी आंखें बाहर आने को हो गई, उसका मुँह मेरे मुँह की गिरफ्त में होने के बावजूद एक दर्द भरी चीख निकली- ऊई … मम्मीईई ईईईई ईई ईईई ईईई!
जिसकी आवाज शायद नीचे सो रहे मेरे घर वालों ने भी सुनी होगी.

लेकिन मैंने अपनी पकड़ मजबूत बनाते हुये उसे दबोचे रखा और चुपचाप उसके ऊपर लेटे हुये उसके ही उसके होंठों को चूसता रहा.
थोड़ी देर बाद जब मैंने उसके चेहरे को देखा तो उसके चेहरे पर दर्द के भाव और उसकी आँखों से बह कर नीचे लुढ़कते आँसू दिखे जो बहकर उसके सर के नीचे रखे तकिये को भिगो रहे थे.

उसकी मासूमियत देखकर मैंने उसके माथे को उसकी आँखों को और गालों को चूमना शुरू कर दिया.
नीचे लन्ड पूरा जड़ तक उसकी चूत में समाया हुआ ऐसे ही पड़ा था.

दस पंद्रह मिनट बाद धीरे-धीरे अब कुछ उसे सामान्य लगने लगा.
तब मैंने अपने लन्ड को हरकत देनी शुरू किया, थोड़ा सा बाहर की ओर खींचा तो इतनी टाइट चूत की वजह से लगा कि लन्ड के साथ उसकी चूत भी खिंची आ रही है.

मैंने अपने दोनों हाथों को नीचे लाकर उसकी कमर को पकड़ कर अपने लन्ड को आधा बाहर निकालकर फिर एक झटके में अन्दर डाल दिया.
गीतांजलि फिर चिहुँक पड़ी और अपने हाथों से मेरे बाल पकड़ अपने ऊपर खींच लिया और मुझसे लिपट गयी जैसे कुछ भी न करने के लिए रोक रही हो!

पर अब मुझसे नहीं रुका जा रहा था तो मैं आहिस्ता-आहिस्ता अपने लन्ड को गति देने लगा.
कुछ देर में उसकी भी पकड़ ढीली पड़ती गई और उसे भी आनंद आने लगा.

वह अपनी आंखें बंद करके अपनी बुर में लन्ड के घर्षण का मजा लेने लगी.
अब उसकी बुर हल्की हल्की गीली भी हो रही थी तो लन्ड को अन्दर बाहर करने में आसानी हो रही थी.

उसकी बुर सटासट मेरा लन्ड निगल रही थी.
मजा दोनों लोगों को आने लगा था.

उसकी चूत ने मेरे लन्ड को अपने अन्दर जगह दे दी थी.
अब उसके मुँह से मजे की सिसकारी मैं सुन पा रहा था- आ … आआ … आ … सी … सीस्ससी … यह मुझे क्या हो रहा है!

और थोड़ी देर में उसकी चूत मुझे अत्यधिक गीली लगने लगी और उसकी पकड़ मेरे शरीर पर बढ़ गयी.
मैं समझ गया कि गीतांजलि अब झड़ने वाली है.

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाकर फुल कर दिया क्योंकि मैं भी उसके साथ ही झड़ना चाहता था.
और हुआ भी वही … हम दोनों साथ-साथ झड़ने लगे और एक दूसरे को कसकर जकड़ लिया.

दस मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद उसने अपनी आंखें खोली और मुझे चूमने लगी.
मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया.

मेरा लन्ड अभी भी उसकी चूत में ही था जो झड़ने के बाद भी तना हुआ था.

धीरे धीरे मैंने फिर अन्दर बाहर करते हुये लन्ड को बाहर निकाला.
मेरे लन्ड पर बहुत हल्के लाल रंग का पानी जैसा लिपटा हुआ था.
मैं समझ गया कि यह उसके सील टूटने की निशानी थी.

यहाँ मैं आपको बता दूँ कि बहुत सी कहानियों में लोग बताते है कि जब सील टूटी तो भलभलाकर खून निकला.
लेकिन मेरा अनुभव ऐसा नहीं था क्योंकि गीतांजलि की सील टूटने पर हल्के लाल रंग के पानी जैसा ही मेरे लन्ड पर लिपटा हुआ था.

फिर मैं उसे सहारा देते हुये उसे उठाकर बाथरूम लेकर गया.
वहां हम दोनों ने अपनी साफ सफाई की और आकर बिस्तर पर बैठ गए.

वह मुझे काफी देर तक बहुत प्यार से देखती रही.
उसने मुझे बताया कि उसे पता ही नहीं था कि लन्ड की जगह चूत में होती है. वह तो यह जानती थी कि लन्ड को लड़की की गांड में डालते हैं. क्योकि शादी के पहले घर वालों से छिपकर अपनी सहेली के साथ कंप्यूटर पर उसने एनल सेक्स वाली वीडियो देखा था तो उसने समझा की सुहागरात को गांड की ही चुदाई होती है.

उसकी बातें सुन मैं हंसने लगा और मैंने उसको अपनी ओर खींच लिया और उसको दुलराते हुये दूसरे राउंड के लिए तैयार करने लगा.

एक और लंबा दौर चुदाई का चला.
लंबा इसलिए क्योंकि हम दोनों ही एक बार झड़ चुके थे तो स्वाभाविक था कि दूसरी पारी लंबी चलेगी.

इस बार उसने हॉट Xxx फक का पूरा मजा लिया.
रात के तीन बज चुके थे.
फिर हम दोनों लिपटकर सो गए.

मुझे मेरी सुहागरात में मेरे नौ साल पुराने बंगालन भाभी के साथ लिए गए अनुभव बहुत काम आया.

और सबसे ज्यादा सहयोग तो मेरे स्ट्राबेरी कट सुपारे का था जोकि दर्द रहित सील तोड़ने और भरपूर मजा देने के लिए बहुत ही अच्छा रहता है.
जिन भी सील पैक कुँवारी लड़कियों को सील तोड़ने के लिए इस तरह का लन्ड मिल जाए तो उनको अपनी सील तोड़वाने में जरा भी दर्द नहीं होगा और मजा भी भरपूर आएगा.

तो मित्रो, इस तरह से मानी मेरी सुहागरात!
जिसको मैंने एक कहानी के रूप में प्रस्तुत किया.

मेरी हॉट वर्जिन Xxx फक स्टोरी आप लोगों को कैसी लगी?
अपने कमेन्ट मुझे मेरी ईमेल आईडी पर जरूर दें और मेरा उत्साहवर्धन करें!

1 thought on “मेरी दास्तान ए सुहागरात”

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