दूर के रिश्ते के चाचा चाची को चोदा-2024

ऐसे परिवार की है जिसके हर सदस्य को मैंने चोदा. यह मेरे दूर के चाचा का परिवार था. घर के बेटा बेटी को चोदने के बाद मैंने चाचा की गांड मारी, फिर चाची को चोदा.

नमस्कार दोस्तो,
मैं आपका दोस्त विशू आपके लिए
दूर के रिश्ते में चाचा की कमसिन बेटी को चोदा

की अगली कड़ी लेकर हाजिर हूँ.
उस कहानी में आपने पढ़ा कि चाचा की बेटी साधना की दोनों जांघों के बीच में बैठ कर मैंने उसे करीब 40 मिनट तक पेला.
उसमें वह 2 बार झड़ी.
मैंने अपना माल उसके पेट पर निकाला और उसकी नाभि भर गयी.

सुबह तक मैंने उसे सोने नहीं दिया.
उस रात मैंने उसे 3 बार चोदा.

अब आगे Xxx फॅमिली स्टोरी:

सुबह होने के पहले मैं उससे बोला- अपनी जगह पर चली जाओ.
वह चली गयी.
फिर मैं नींद के आगोश में चला गया.

सुबह मैं उठा, तब तक सब उठ गए थे.

चाची आईं और बोलीं- बड़ी देर तक सोये, नींद तो आयी ना सही से!
मैंने हां कहा और उठ कर बाथरूम में चला गया.

कुछ देर में मैं बाथरूम से बाहर आया तो चाची चाय ले आईं.
मैंने चाय पी और पूछा- जय कहां है … और चाचा जी दिखाई नहीं दे रहे हैं? साधना भी कहां चली गयी?

चाची बोलीं- तेरे चाचा जी खेतों पर गए है. साधना अपनी सहेली के घर गयी है और बबुआ आता ही होगा.

मैंने चाय खत्म की और बोला- चाची मैं जरा घूम कर आता हूँ.

मेरी नजरें साधना को ही ढूंढ रही थीं.
मैं यूं ही टहलते टहलते खेतों के पास पहुंच गया.
वहां कुछ मजदूर काम कर रहे थे.

मैंने चाचा जी को आवाज लगायी पर मुझे चाचा जी नजर नहीं आए.

फिर मैं वैसे ही आगे बढ़ गया, जहां वह गन्ने के खेतों के बीच वाली जगह थी जिधर मैंने जय की गांड बजाई थी.

मैं आहिस्ता आहिस्ता उसी तरफ बढ़ता गया.
मेरे मन में एक अजीब सा डर भी था.

उधर से कुछ आवाज भी सुनायी दे रही थी.
मैं धीरे से आगे बढ़ा और मैं उसी जगह के नजदीक पहुंच गया और आवाजें सुनने लगा.

उन आवाजों में चाचा को आह आह की आवाज आ रही थी और दूसरा कोई मजदूर था शायद … उसकी हम्म हम्म की आवाज निकल रही थी.

मैंने धीरे से गन्ने के पत्ते बाजू में किए, तो एक अजीब नजारा देखने को मिला.
चाचा नंगे घोड़ा बने थे और एक काला मजदूर पीछे से उनकी गांड मार रहा था.

चाचा ‘आह आह’ करते हुए उसका लंड अपनी गांड में अन्दर तक ले रहे थे.
उस मजदूर ने चाचा को मजबूती से पकड़ रखा था और ठोके जा रहा था.

मैंने मन में कुछ सोचा कि चाचा को सैट किया जा सकता है.
बस … मैं उनके सामने जा पहुंचा.

चाचा के और उस काले मजदूर के होश उड़ गए.

मैं मजदूर पर चिल्लाया और बोला- कमीने, मेरे चाचा की गांड मार रहा है. मैं तेरी गांड में अपना लंड डाल कर फाड़ता हूँ … रुक साले.
वे दोनों डर गए.

मैंने दिखावटी गुस्सा किया और आंखें बड़ी की तो वह मजदूर पतलून छोड़ कर भाग गया.

तब मैंने चाचा को देखा, वे शर्मिंदा थे.
मैं उनको कुछ नहीं बोला और निकल आया.

तब मैं घर आया और बैठ गया.
साधना पानी लाई.

पानी लेते समय मैंने उसका हाथ पकड़ा तो वह शर्मा गई और भाग गयी.

दोपहर को चाचा घर नहीं आए.
शाम हुई, फिर भी चाचा घर नहीं पहुंचे.

जय उन्हें सब जगह देख आया, चाचा कहीं नहीं मिले.
इस बात से चाची घबरा गईं और रोने लगीं.

मैं उनके पास गया और उनको चुप कराने लगा.
वह मेरे कँधे पर सर रख कर रोने लगीं.

साधना वहीं खड़ी थी.
मैंने उससे कहा- साधना जा, तू आस-पड़ोस में देख आ.
वह चली गयी.

मैंने चाची को सहलाया, उनके बालों में हाथ घुमाया, पीठ पर हाथ घुमाया और उनको अपने नजदीक खींच लिया.

उनके चूचे मेरे सीने में दबने लगे.
अब चाची मुझसे सट चुकी थीं.

मैं उनके पूरे बदन पर अपना हाथ चला रहा था.
वे भी अब रोना बंद करके मुझसे चिपक कर खड़ी रहीं.

मैं और चाची दोनों गर्म हो गए थे.
मैंने अपना हाथ थोड़ा और नीचे सरका दिया और चाची की गांड को सहलाने लगा.
चाची की गर्म सांसें मेरे बदन पर पड़ रही थीं.

आहिस्ता से मैंने चाची की गांड को दबाया तो चाची की आह निकल गयी.

मैंने चाची की गर्दन को किस किया.
चाची ने ‘इस्स्स …’ किया और बोलीं- ऐसे मत करो, कोई आ जाएगा.

तभी साधना आ धमकी.

मैं और चाची अलग हो गए.
साधना ने कुछ देखा नहीं था.

मैंने साधना से पूछा- मिले चाचा जी?
तो साधना ने ना में सर हिलाया.

मैं बोला- चाची आप डरो नहीं, मैं जाकर ढूंढता हूँ.

तब मैं खेत की तरफ गया.
वहां चाचा जी नहीं थे.

मैं फिर उसी जगह गया जहां गन्ने के बीच में जगह थी.
वहां चाचाजी अकेले बैठे थे.

मैं उनके पास गया और बोला- चाचा जी, आपके लिए हम सब परेशान हैं और आप यहां बैठे हैं?
तो चाचा जी ने मेरे सामने हाथ जोड़े और बोले- बेटा, मैं बहुत शर्मिंदा हूँ.

मैं बोला- चाचा जी, मैं सब भूल गया हूँ … आप भी भूल जाओ. यह सिर्फ एक आदत है … सिर्फ एक आदत है … और कुछ नहीं. मैंने भी कितने ही लड़के और आदमियों को चोदा है. उसमें क्या है!
चाचा जी की शक्ल रोने जैसी हुयी.

मैंने उन्हें गले से लगाया और कहा- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा. आप निश्चिन्त रहें.
पर मेरा लंड खड़ा होने लगा क्योंकि मेरा और चाचा का लंड एक दूसरे से टकरा रहे थे.

मैंने चाचा को कसके अपने सीने पर दबा लिया.
मेरा लंड उनके सामने से उनकी जांघों के बीच घुसने लगा.

मैंने चाचा के कान में धीरे से कहा- चाचा जी, एक बार मैं भी आपके साथ चुदायी कर लूँ क्या?

चाचा जी ने मेरी ओर देखा और अपनी पतलून उतारने लगे.
मैंने भी अपनी पतलून उतारी और चाचा के पीछे खड़ा हो गया.

चाचा जी झुके, मैंने चाचा की गांड पर हाथ फेरा और एक उंगली उनकी गांड में डाल दी.
वह उछल पड़े फिर झुक गए.

अब मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और लंड उनकी गांड के छेद पर रखा.
बालों वाली गांड मारने को मिल रही थी.

मैंने एक जोरदार धक्का मारा, मेरा पूरा लंड सरसराता हुआ अन्दर चला गया.
चाचा जी के मुँह से आह निकल गयी.

मैंने चाचा को धक्के लगाने चालू किए.
चाचा जी भी किसी औरत के माफिक चुद रहे थे.
ठप ठप की आवाज गूंज रही थी.

मैंने चाचा का लंड पकड़ कर देखा, लंड तो ठीक था पर नर्म पड़ गया था.

वैसे भी जब गांड चुदती है, तो लंड नर्म पड़ ही जाता है.
मैंने उनके नर्म लंड हो हाथ में लेकर हिलाया तो उनको भी मजा आया.

इसी पोजीशन में मैंने उन्हें 20 मिनट तक चोदा.
फिर मेरा पानी निकलने को हुआ तो मैंने उनके लंड को भी जोर से दबा दबा कर हिलाया.
तो उनके मुरझाये लंड ने भी पानी छोड़ दिया.

उनका वीर्य जमीन पर पड़ी घास में गिर गया.
मेरा वीर्य भी उनकी गांड में भरने लगा.

कुछ पल बाद मैंने अपना लंड निकाल लिया, तो चाचा की गांड लबालब भर कर बहने लगी.
मैंने चाचा से कहा- चलो चाचा, अब घर चलें. सब राह देख रहे हैं.

मैंने चाचा से कहा कि घर पर कहना कि आपको चक्कर आ गया था.

घर पहुंचे तो चाची खुश हो गईं पर रोने लगीं और कहने लगीं- कहां गए थे? हम सबने तुम्हें कहां कहां नहीं खोजा!

चाचा ने वही बताया जो मैंने उन्हें बताया था.
चाची ने मेरे पास आकर मुझे धन्यवाद दिया और गले से लगा लिया.

मैंने भी चाची को बांहों में भर लिया.
कुछ देर बाद हम दोनों अलग हुए.

सबने खाना खाया और सोने की तैयारी करने लगे.

साधना बोली- भैया, मैं आप के पास आ जाऊं सोने के लिए?
तभी चाची बोलीं- नहीं, अपनी जगह पर ही सो जा.

मैंने चाची की तरफ देखा तो चाची ने मुझे नशीली निगाहों से देखा.
चाची मुझसे बोलीं- बिटवा, तुम यहां आ जाओ हमारे पास और अपने घर की खबर सुनाओ.

मैं समझ गया, मैं उनकी तरफ हो गया.

देर रात तक हम दोनों बात करते रहे.

चाची मेरी तरफ मुँह करके सोई थीं. मैंने चाची की तरफ अपना हाथ बढ़ाया.
पहले उनके हाथ पर हाथ रखा तो उन्होंने मुझे ऐसा इशारा किया कि अभी नहीं, पीछे सब लोग हैं.

फिर भी मैंने अपना हाथ नहीं निकाला, चाची के हाथ को रगड़ने लगा.
अब उनके निप्पल को चोली के ऊपर से ही टच करने लगा तो चाची ने मेरा हाथ दबा दिया.

मैंने भी चाची का दूध अपने हाथ में ले लिया और किसी गेंद के जैसे दबाने लगा.
वे अपने होंठ काटने लगीं.

यह खुला संकेत था कि चाची की चुदने को मचल रही है.

मैं करीब 15 मिनट तक उनके दोनों मम्मों को मसलता रहा.
फिर मैं अपना हाथ चाची के पेट पर ले आया और उधर घुमाने लगा.

इससे चाची को गुदगुदी होने लगी.
वे थोड़ी हिलीं, तो मैंने अपना हाथ रोक लिया.

फिर मैंने चाची के पीछे सोये हुए सब लोगों का जायजा लिया, सब सो गए थे.
मैंने चाची के कान में कहा- सब सो गए हैं.

चाची ने भी पीछे गर्दन घुमाई और सबको देखा.
उन्होंने अपने पति को हिलाया और कहा- ए जी … जरा वहां सरक कर सो जाओ.
जब उन्होंने नहीं सुना तो चाची आश्वस्त हुईं कि सब सो गए हैं.

तब तक मैंने पीछे से उन पर हाथ रखा और उनको अपने पास खींच लिया.
अब मैंने पीछे से उनकी साड़ी उठाई और लंड को उनकी गांड की दरार में घुसा दिया.

मस्त मखमली जिस्म था चाची का … एक अलग किस्म की खुशबू थी उनमें!
मैंने उनकी गांड को अपने हाथ से दबा दिया.
वह कामुक अहसास मैं बयान नहीं कर सकता.

मैंने चाची के गले को किस करना चालू किया.
चाची अपनी गर्दन यहां वहां घुमाने लगीं, उनमें कामवासना जागृत होने लगी थी.

मैंने उनके सर को पकड़ा और उनके मुँह को अपनी तरफ घुमा लिया.
फिर चाची के होंठों को अपने होंठों में लेकर किस करने लगा.

चाची के लिए यह सब नया था.
चाचा ने उन्हें कभी इस तरह से किस किया ही नहीं होगा.

मैं एक एक करके उनके दोनों होंठों को चूसता गया.
चाची को भी मजा आने लगा.
वे भी मेरे होंठों को अपने होंठों से दबाने लगीं.

फिर हम दोनों ने अपनी अपनी जीभ एक दूसरे के मुँह में डाल दी और दस मिनट तक मुँह से मुँह की चुम्मी के बाद मैंने उनके ब्लाउज को खोल दिया.
ब्रा तो वे पहनती नहीं थीं, तो उनके दूध नग्न हो गए.

चाची के चूचों को आजाद करने के बाद मैं उनको दबाने लगा, उनके निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने व खींचने लगा.
उनके मुँह से ‘आह्ह इस्स्स’ ऐसी सिसकारियां निकलने लगीं.

मैंने अपना एक हाथ उनके मुँह पर रखा ताकि आवाज से ज्यादा शोर न हो.
मैं दूसरे हाथ से उनके चूचों से खेलता रहा.

कुछ पल बाद मैंने उनकी साड़ी ऊपर की.
अन्दर उन्होंने चड्डी नहीं पहनी हुई थी तो मेरा हाथ सीधे उनकी धकधकाती चूत से जा टकराया.
चाची की चूत गर्म भी थी और गीली भी थी.

मैं उनकी चूत को सहलाने लगा.
चूत में झांटों के रेशमी बाल भी थे.

अब मैं नीचे को खिसका और उनकी चूत के पास अपना मुँह ले गया.
उसमें से एक मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी.

चाची ने मेरा सर पकड़ कर धीमी आवाज में कहा- वहां नहीं, वह गंदी जगह है.

पर मैंने अपनी जुबान निकाल कर चाची की चूत की पंखुड़ियों को सहलाया.
चाची अकड़ उठीं और ‘इस्स्स इस्स्स्स नाह्ह्हहीं अम्म्म्म हम्म्म …’ ऐसी सिसकारियां निकाल रही थीं.

पर इस बार चाचा की नींद खुली पर वह हिले नहीं.
उन्होंने थोड़ी सी चादर सरका दी और अपनी बीवी की चुदाई देखने लगे.

मेरी नजर उन पर पड़ी, पर मैं लगा रहा.
अबकी बार मैंने जुबान की नोक चूत के अन्दर डाल दी.

इस बार चाची ने अपनी कमर उठाई और ‘इस्स्स् … अम्म्म …’ करती रह गईं.
वे किसी नागिन की तरह अपनी कमर को ऊपर नीचे करती रहीं.

मेरी जुबान ने चाची को कामवासना के उच्च शिखर पर लाकर उनके ज्वालामुखी को और भड़का दिया और चाची का लावा फूट पड़ा.
चाची बहने लगीं झड़ने लगीं.
उनका सारा रस मेरे मुँह पर आया.
मैं चूत से निकला सारा रस चाट गया.

कुछ पल बाद चाची का तूफान शांत हुआ तो उनको शर्म आने लगी कि उन्होंने मेरे मुँह पर अपना अमृत छलका दिया.

मैं अभी भी चूत चाटने में लगा था और चाची की चूत को कुरेद रहा था.
इससे चाची फिर से तैयार हो गईं.
जल्द ही उन्होंने अपनी चूत फिर से टाईट कर ली.

अब मैंने चूत में से मुँह निकाल लिया और ऊपर होकर उनकी चूतरस से सनी अपनी जुबान चाची के मुँह में डाल दी और उनकी चूत रस का स्वाद उनको ही चखा दिया.

मैं चाची के पैर अलग करके बीच में बैठ गया, उनके पैरों को ऊपर कर दिया.
उससे चाची की चूत के सीधे दीदार होने लगे.

मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर सैट किया और पैर गले के दोनों बाजू में लेकर उनके ऊपर को होकर एक सधा हुआ धक्का मारा.

मेरा लंड चूत की दोनों दीवारों की चीरता हुआ अपनी जगह बनाता हुआ अन्दर दाखिल हो गया.

चाची की चूत बहुत ज्यादा कसी हुई थी.
चूत की कसावट मुझे अपने लंड पर साफ महसूस हो रही थी.

मैंने लंड जरा सा बाहर निकाला और फिर से उसी तरह अन्दर डाला.

इस तरह से मैंने 5-6 धक्के मारे तो लंड ने जगह बना ली.
अब मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी.

चाची की नर्म मुलायम चूत में मेरा लंड खुदाई करने लगा.

हम दोनों सब भूल गए थे कि हम लोग कहां हैं, हमारे बगल में कौन है.
उधर अपनी घरवाली की चुदाई का सब नजारा चाचा जी देख रहे थे.

कुछ देर बाद मैंने चाची का एक पैर नीचे छोड़ दिया और एक अभी भी कंधे पर ही था.
चुदाई चालू थी, ठप ठप की आवाज गूंज रही थी.

कुछ पल बाद चाची की नसें टाईट हो गईं और वे झड़ने लगीं.
मैंने पोज बदलते हुए चाची को पलट दिया, उनको औंधे मुँह कर दिया.

उनके पैरों को बैठी हुई कुतिया के जैसे मोड़ कर गांड को थोड़ा ऊपर कर दिया.
फिर उनके पीछे से मैंने चूत में लंड घुसा दिया और चुदाई करने लगा.

यह पोज चाची को बड़ा सूट कर रहा था.
इसमें सिर्फ मजा आ रहा था और मेहनत जरा सी भी नहीं लग रही थी.

मेरे हर झटके पर चाची हिल जा रही थीं.
मैंने उनको किसी चूहे के जैसे झुकाया था और चोद रहा था.

चादर के अन्दर से अपनी बीवी की चुदाई देख चाचा का लंड भी खड़ा हो गया था.
मेरा एक धक्का इतना जोरदार लगा कि चाची चाचा पर गिर पड़ीं, पर चाचा ने चादर नहीं छोड़ी.

चाची फिर से सही पोज में आ गईं.
कुछ पल बाद चाची ने अपने मुट्ठी में चाचा की चादर दबोच ली.
उनकी नस नस टाईट हो गयी और वे थरथराने लगीं.
अगले ही पल वे झड़ने लगीं.

मेरा लंड भी चाची के चूत में उछलने लगा और एकदम फूल गया.
मैं भी चाची के साथ झड़ने लगा.

थोड़ी देर तक हम दोनों उसी हालत में पड़े रहे.

उस वक्त मेरी नजर चाचा पर जा पड़ी.
चाचा भी चादर के अन्दर अपना लंड हिला रहे थे.

कुछ देर बाद मेरा लंड सिकुड़ कर बाहर आ गया.
साथ ही हम दोनों की मेहनत का फल हमारा मिला जुला रस चाची की टांगों से बहने लगा.

मैं उठा और बाथरूम जा कर आ गया.
फिर मैंने चाची के कान में कहा- बाथरूम हो आओ.

चाची उठीं और बाथरूम में चली गईं.

मैं चाचा के पास गया और उनकी चादर निकाल कर देखा.
वे अपना लंड हाथ में पकड़ कर हिला रहे थे.
मेरी इस हरकत से वह शर्मा गए.

मैंने उनका लंड हाथ में लिया और हिलाया.
उन्होंने आंखें बंद कर लीं और कुछ ही पल में उनकी पिचकारी निकल पड़ी.
मैंने अपना हाथ निकाल लिया.

चाचा ने चादर अपने ऊपर ओढ़ ली और सो गए.
चाची बाथरूम से बाहर आईं और मेरे और चाचा के बीच में आकर सो गईं.
पर इस बार चाची ने अपनी चादर मेरे ऊपर भी डाल दी और मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया.

एक ही चादर में हम दोनों सो गए.

सुबह मैं देर से उठा तो चाचा जी खेत की तरफ जा चुके थे.
उनके बच्चे भी स्कूल जा चुके थे.

मैं जग गया और देखा.
चाची ने मुझे देखा और वे कुछ ही देर में मेरे लिए चाय ले आईं.

मैंने चाची को नमस्ते किया.
चाची ने मेरे सर में हाथ घुमाया.

मैंने कहा- चाची एक बात पूछूँ?
तो वे बोलीं- पूछो.

मैं बोला- आपको बुरा तो नहीं लगा न कल रात का!
चाची बोलीं- विशू आज से तू मुझे एकांत में मेरे नाम से बुला, तूने जो सुख दिया है, उसके लिए मैं जाने कबसे तरस रही थी. मैं तेरी दीवानी हो गयी हूँ. तेरे चाचा को भूल गयी हूँ. कल जो तूने किया है न मेरे लिए, ये मेरी सुहागरात से भी बड़ा तोहफा था. मेरी नस नस खुल गयी. मेरे शरीर ने इतना जोर नहीं झेला था. तेरे चाचा से पहले मैं तेरी दीवानी हो गयी हूँ. तेरे औजार में बहुत दम है और तेरी एक एक करामात मुझे जिंदगी भर याद रहेगी.

मैंने चाची को अपने गले से लगाया और फिर से उनको खूब पेला.
मैं चाची के घर में चार दिन रहा था.
आखिरी के दो दिन मैंने सिर्फ चाची को पेला था.

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