मेरी रियल सेक्स स्टोरी में पढ़ें कि मेरे मकान मालिक की तीन बेटियाँ थी. उनमें से सबसे छोटी मेरे कॉलेज में पढ़ती थी. वो मेरी गर्लफ्रेंड कैसे बनी और मेरी सुहागरात उसके साथ …
फ्रेंड्स, कैसे है आप सब! मैं राज कुमार, जयपुर से आपके लिए हाजिर हूँ. आज मैं आपको अपनी आपबीती बताने जा रहा हूँ. मुझे उम्मीद है कि इस सेक्स कहानी को आप सब जरूर पसंद करेंगे.
मेरी उम्र 24 साल है और मेरी हाइट साढ़े पांच फिट है. मैं ठीक ठाक दिखता हूँ. मेरे लिंग की साइज़ दूसरे लेखकों की तरह 9 या 8 की नहीं है … हां इतनी है कि मैं किसी भी लड़की या औरत की चीखें निकलवा सकता हूं.
यह बात सन 2013 की है, जब मैं 12वीं की परीक्षा देने के बाद जयपुर आ गया था. इधर मैं कंप्यूटर विज्ञान से इंजीनियरिंग करने आया था. इधर मैं एक रूम किराए से लेकर रहने लगा.
जिस कमरे में मैं रहता था, उसके मकान मालिक के परिवार में कुल मिलाकर 10-12 लोग रहते थे. उनमें मेरा मकान मालिक, उसकी बीवी और 2 बेटे और 3 बेटियां रहते थे. उसके दोनों बेटे शादी-शुदा थे … उन दोनों की बीवी और उन्हें 3 छोटे बच्चे थे. सब लोग एक साथ एक ही घर में रहते थे. उनका घर बहुत बड़ा था.
मेरा मकान मालिक एक रिटायर्ड फौजी था इसलिए वो घर पर ही रहता था.
उसकी बीवी की अक्सर तबियत खराब रहती थी, जिससे उसे 2-4 दिन में हॉस्पिटल ले जाना ही पड़ता रहता था.
उसकी तीनों बेटियों में जो सबसे बड़ी थी. उसका नाम निष्ठा, बीच वाली पिंकी और सबसे छोटी वाली का नाम रिंकी था. रिंकी ही इस कहानी की नायिका है.
फौजी की बड़ी बेटी पढ़ाई छोड़ चुकी थी और पिंकी की कॉलेज की पढ़ाई पूरी होने वाली थी. अभी उसकी और उसकी बड़ी बहन की शादी की बात चल रही थी.
रिंकी मेरे ही कॉलेज में थी, जो मुझे बाद में पता चला. एक बार मैंने उसे मेरे कॉलेज में देखा के एक प्रोग्राम में देखा था, तब हमारी नज़र मिली थीं.
उस वक्त हम दोनों आपस में कुछ नहीं बोले, बस देख कर रह गए. हमारा एक दूसरे के साथ कोई वार्तालाप नहीं होता था.
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए, हम एक दूसरे को रोज़ देखते थे, पर आपस में कभी कुछ नहीं बोलते थे.
ऐसे ही 6 महीने बीत गए. अब उसकी बड़ी बहन निष्ठा की शादी की तय हो गई.
आप ये सब पढ़ कर बोर हो रहे हैं, पर मेरी कहानी यहां से ही शुरू होने वाली है.

जब उसकी बहन की शादी की डेट आ गई, तो घर में शादी को लेकर तैयारियां शुरू हो गईं.
उनके दोनों बेटे, एक तो फ़ौज में था … व दूसरा बेटा एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. वो उस कंपनी में अच्छी पोस्ट पर था, जिससे उनको टाइम कम मिल पाता था.
इस सबके चलते उन्होंने मुझसे बोला कि मैं घर पर उनकी मदद कर दूं.
मैंने हां कर दी.
अब तक मैं बस से आते जाते उसको देख लेता. तब भी उससे कभी बात नहीं होती थी.
एक दिन जब मुझे मेरे मकान मालिक ने नीचे बुलाया, तो मैं गया.
मैं नीचे गया तो मेरे मकान मालिक बोले- रिंकी और आंटी को हॉस्पिटल ले जाओ, उनकी तबियत थोड़ी ठीक नहीं है.
मैं उनको बाइक पर बिठा कर हॉस्पिटल ले गया. हॉस्पिटल उनके घर से 10 मिनट की दूरी पर था. वहां मैं उन्हें दिखाकर वापस ले आया और मैंने नोटिस किया कि रिंकी बार बार मुझे देख रही थी. शायद उसका कुछ बात करने का मन हो रहा हो.
मैं उसके घर में उसके कामों में मदद करने लगा, जिससे मैं उससे काफी घुलमिल गया. अब तो ये हालत हो गई थी कि मेरा खाना भी वहीं पर होने लगा था.
इस सबके फलस्वरूप मेरी दिनचर्या भी बदल गई और अब धीरे धीरे मैं अपना ज्यादा समय उनके यहां ही बिताने लगा.
एक दिन जब मैं सुबह नीचे कुछ काम कर रहा था, तो मेरे मकान मालिक ने मुझसे बोला- तुम तो रिंकी के कॉलेज में ही पढ़ते हो ना?
मैंने अनजान बनने का नाटक किया और बोला- मुझे तो नहीं पता अंकल कि रिंकी भी वहां पढ़ती है.
वो कुछ नहीं बोले और चले गए.
कुछ दिन बाद उनके दोनों बेटे भी छुट्टी लेकर घर आ गए थे. उन दोनों के घर में दिन भर रहने के कारण मैं नीचे कम जाने लगा. अब उनको मेरी जरूरत भी कम होने लगी थी. जब होती, तो वो खुद मुझे बुला लेते थे.
इतने दिनों में मैंने ये प्रयास किया था कि मेरी इमेज एक भले लड़के के रूप में बने.
फिर एक दिन रिंकी ऊपर आई और बोली- पापा आपको बुला रहे हैं.
वो मेरे कमरे में आई, तो क्या मस्त माल लग रही थी … मैं तो उसे देखता ही रह गया. इस समय वो नीली जीन्स और सफ़ेद टॉप में बड़ी जोरदार पटाखा लग रही थी.
मैं बस उसे ही देखने में खो सा गया तो उसने फिर से बोला- हम्म … मैंने कहा पापा जी आपको बुला रहे हैं.
मैं एकदम से सपने से बाहर आया और हकबकाता हुआ ‘अंह..हां..’ करते हुए नीचे चला गया.
अंकल बोले- रिंकी को कॉलेज में कुछ काम है, तुम उसे लेकर चले जाओ … और जल्दी लेकर वापस आ जाना.
पर जहां तक मुझे पता था, आज तो कॉलेज में कोई प्रोग्राम और एग्जाम भी नहीं था.
अब मैं क्या बोलता, मैंने अंकल से बोला- ओके अंकल, मैं तैयार होकर दस मिनट में आता हूं.
मैं तैयार होकर बाहर आया, तो वो पहले से वहां खड़ी थी. मैं बोला- चलो.
वो झट से गांड हिला कर बाइक पर बैठ गई.
मैंने बाइक चलाना शुरू कर दी और धीरे धीरे चलाने लगा. मैं उससे कुछ नहीं बोल रहा था … बस बाइक चला रहा था.
कुछ मिनट बाद जब कॉलेज आ गया तो मैंने कहा- जाओ और अपना काम करके आ जाओ, मैं कॉलेज के गार्डन में बैठा रहूँगा … वहां आ जाना.
इतना बोलकर मैं बाइक को खड़ी करके जाने लगा, तो बोली- ठीक है, जाओ जाओ!
मैं कुछ समझा नहीं कि इसने ‘जाओ जाओ..’ क्यों कहा.
जब मैंने उससे ये पूछा, तो उसने बोला- अरे यार मैं घर पर बोर हो रही, तभी तो इधर आई हूं … और अब तुम भी जा रहे हो.
मैं उसकी ऐसी बात सुन कर सन्न रह गया. मगर मैं बोला- चलो … फिर तुम भी मेरे साथ चलो … हम दोनों गार्डन में बैठते हैं.
वो भी मेरे साथ में आ गई और बैठ गई. मैं भी वहीं दूसरी बेंच पर बैठ गया और फेसबुक यूज़ करने लगा. थोड़ी देर में वो उठ कर मेरे पास बैठने लगी.
मैं बोला- चलें घर?
तो वो मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी.
मैं बोला- क्या बात है … मारने का विचार है क्या मुझे? जो इतना गुस्सा कर रही हो?
वो बोली- तुमको जाने की लगी है … मैं यहां भी बोर हो रही हूँ.
मैंने बोला- ऐसा करो, तुम अपनी सहेलियों को बुला लो और उनसे बात कर लो.
वो बोली- क्यों … क्या तुम मुझसे बात नहीं कर सकते हो?
मैं बोला- हां कर सकता हूँ … पर हम क्या बात करेंगे. हम तो एक दूसरे को बस नाम से जानते हैं और ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं.
उसने बोला- उस दिन तुमने पापा को मना क्यों किया था कि तुम नहीं जानते हो कि मैं तुम्हारे कॉलेज में पढ़ती हूँ. जबकि तुमने मुझे उधर देख भी लिया था.
मैंने कहा- मैंने मना इसलिए किया था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि अंकल को इस बात का पता चले कि मैं तुमको कॉलेज में देखता हूं कि नहीं … वो मुझसे तुम्हारे बारे में पूछने लगते … इसलिए मना कर दिया.
वो हंस कर बोली- हम्म … मतलब स्मार्ट भी हो.
मैं भी हंस दिया.
धीरे धीरे हम दोनों बात करने लगे. कब दो घंटे निकल गए, ये पता ही नहीं चला.
तभी उसके पापा का फ़ोन आया- घर पर कब तक आ रही हो … इधर और भी काम हैं.
वो बोली- पापा बस थोड़ा सा टाइम और लगेगा. हम दोनों एक घंटे में आ जाएंगे.
अंकल को किसी बात की चिंता तो थी नहीं … क्योंकि मैं जो साथ था, इसलिए उन्होंने कुछ नहीं बोला.
हम दोनों फिर से आपस में बात करने लगे.
उसने पूछा- तुम सुबह कहां खो गए थे … जब मैं तुम्हारे कमरे में बुलाने आई थी?
इस पर मेरे मुँह से कुछ नहीं निकल रहा था.
वो बोली- अब अपने फ्रेंड को भी नहीं बताओगे?
मैं बोला- फ्रेंड?
वो बोली- हां अब हम दोनों फ्रेंड हो गए हैं न!
मैं तब भी थोड़ी देर चुप रहा.
वो बोली- बताओ न यार … सुबह कहां खो गए थे.
मैं मुस्कुराने लगा.
तो बोली- नहीं बता रहे, तो ठीक है चलो … घर चलते हैं.
मैं जैसे ही खड़ा हुआ, तो उसने हाथ पकड़ कर मुझे वापस बिठा दिया और बोली- मेरे प्यारे भोलूराम, अभी बैठो … मुझे पहले ये बताओ कि तुम क्या देख रहे थे … तभी घर चलेंगे.
मैंने बोल दिया- तुम आज बहुत सुंदर लग रही हो, तो मैं तुम्हारी सुंदरता में खो गया था.
उसने मुझे घूरा, तो मैंने सॉरी बोला और कहा- प्लीज अंकल को मत बोल देना … नहीं तो वो मेरा रूम खाली करवा लेंगे.
इस पर वो हंसने लगी और थोड़ी देर बाद बोली- ओके … नहीं बोलूंगी लेकिन पहले तुम भी एक वादा करो कि तुम मेरे अच्छे दोस्त बनोगे.
मैं बोला- ठीक है, आज से हम दोस्त हैं पर इस बात का घर पर नहीं पता चलना चाहिए.
इस पर उसने भी हां कर दी.
कुछ देर बाद हम दोनों घर के लिए निकलने को हुए, तब मैंने उसे जूस की दुकान पर ले जाकर जूस पिलाया और घर आ गए.
अब शादी के घर में कितने काम होते हैं, तो सब अपने अपने काम कर रहे थे. अब जब भी हम एक दूसरे को देखते, तो हंस देते और हाय हैलो कर लेते थे.
ऐसे ही दिन गुजरने लगे.
फिर शादी का दिन आ गया. उस दिन वो बहुत ही ज्यादा सुंदर लग रही थी.
मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- आज कितनों को मारने वाली हो?
उसने भी तपाक से बोल दिया- कितनों का तो पता नहीं, पर आपको जरूर मारने का विचार है.
ये कह कर वो हंस कर चली गई.
थोड़ी देर बाद अंकल आए और बोले- पिंकी और निष्ठा पार्लर गई हुई हैं, तुम रिंकी के साथ जाकर उनको ले आओ. उधर यदि समय मिले तो, ये पर्चा और पैसे ले जाओ, कुछ बाजार से भी काम निबटाते हुए आना.
मैं ओके कहते हुए पर्चा और पैसे ले लिए.
मैं और रिंकी उन दोनों को लेने गए, तो पता चला कि अभी और टाइम लगेगा.
मैंने रिंकी से बोला- तुम यहां रुको, मैं मार्केट का काम करके आता हूं … जब फ्री हो जाओ, तो फोन करके बता देना.
इस पर उसने बोला कि कैसे बताऊनगी मेरे पास तो तुम्हारा नया वाला नंबर ही नहीं है.
अब मुझे याद आया कि कल ही मेरे मोबाइल में मैंने सिम चेंज कर ली थी और रिंकी को नम्बर नहीं दिया था. पुराना नम्बर किसी वजह से काम नहीं कर रहा था.
मैंने उसे अपना नया नंबर दिया और उधर से निकल गया. अभी 15 मिनट ही हुए थे कि एक अनजान नंबर से कॉल आया.
मैंने फोन उठाया, तो कोई आवाज नहीं आई. मैंने फोन काट दिया.
उस नम्बर से फिर से कॉल आई तो मैंने बोला- अगर बोलना ही नहीं है, तो कॉल क्यों करते हो?
इस पर वो बोली- मैं रिंकी हूँ. क्या मेरा नम्बर सेव नहीं है?
मैंने बोला- ओके … अभी सेव कर लेता हूँ. तुम लोग फ्री हो गईं?
वो बोली- नहीं यार अभी कहां … वो तो मैं अकेली बोर हो रही थी, तो कॉल कर लिया. कुछ देर बात करो न.
मैंने बोला- ओके.
हमारी थोड़ी देर बात हुई, फिर उसने बोला- अब आ जाओ, हम सब रेडी हो गए हैं.
मैं कार लेकर उनके पास पहुंच गया. उधर से हम सब सीधे मैरिज गार्डन में आ गए … जहां शादी का प्रोग्राम था.
ऐसे ही शादी भी सिमट गई और मैं और रिंकी धीरे धीरे अच्छे दोस्त भी बन गए. शादी के कुछ दिन बाद सब पहले की तरह नार्मल हो गया. अब कभी कभी वो मुझसे कॉल पर बात करने लग गई थी. धीरे धीरे हम नाईट में भी बात करने लगे और हम आपस में खुलने लगे.
इसी बीच मंझली बहन पिंकी, अपनी आगे की पढ़ाई के लिए बाहर चली गई थी.
मुझे उनके यहां रहते हुए एक साल होने को हो गया था. मैं अब उनकी फैमिली की तरह रहने लगा था. दोनों भाभियां भी मुझसे कभी कभी बात कर लेती थीं.
ऐसे ही अब मेरे और रिंकी के कॉलेज के एग्जाम आ गई. अब मैं और वो पढ़ाई करने लगे.
एक अंकल मुझसे बोले- तुम रिंकी की पढ़ाई में उसकी मदद कर दिया करो.
इस बात के बाद से रिंकी मेरे रूम में रात तक पढ़ाई करने लगी. कभी वो 10 तो कभी 11 बजे नीचे जाने लगी.
ऐसे ही रात को कभी कभी मजाक में मैं उसे छू लिया करता, तो वो कुछ नहीं बोलती थी. इससे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. मैं भी उससे प्यार करने लगा. लेकिन उससे इजहार नहीं कर पा रहा था.
हमारे एग्जाम का सेंटर एक ही कॉलेज में पड़ा था तो साथ ही होने थे. हम साथ ही जाने लगे थे.
एक दिन हम दोनों एग्जाम देकर वापस लौट रहे, तो वो बोली- रुको.
मैं बोला- क्या हुआ?
उसने बोला- मेरा पेट दर्द हो रहा है … जल्दी से घर चलो या मुझे कहीं किसी टॉयलेट में लेकर चलो.
मैं उसे टॉयलेट लेकर गया.
थोड़ी देर में वो बाहर आकर बोली- अपना रूमाल देना.
मैंने पूछा- क्यों?
वो बोली- दो ना.
मैंने अपना रूमाल उसे दिया और वो 10 मिनट बाद वापिस आकर बोली- चलो अब घर चलते हैं.
मैंने बोला- रूमाल मेरा?
वो बोली- घर चलो.
फिर हम दोनों घर आ गए और वो भाग कर अपने रूम में चली गई. मैं मेरे रूम में आ गया. उस दिन शाम तक हमारी कोई बात नहीं हुई. मैंने उसे मैसेज भी किया, पर उसने कोई जवाब नहीं दिया.
सात बजे जब वो आई, तो मैंने गुस्से से उसे देखा और इग्नोर कर दिया.
तब उसने बोला- क्या हुआ?
मैंने बोल दिया- अब आई हो … एक बार बताया भी नहीं कि तुम्हारा दर्द कैसा है? मैं तो यह सोच सोच कर परेशान हो रहा था कि पता नहीं तुम कैसी हो?
वो कुछ नहीं बोली.
फिर मैंने उससे अपना रूमाल मांगा, तो बोली- मरो मत … मैं नया ला दूंगी.
मैं बोला- नहीं … मुझे वो ही चाहिए.
तो वो कुछ नहीं बोली.
फिर मैंने जोर देकर पूछा- उस रूमाल का क्या किया तुमने?
वो फिर चुप रही और नीचे जाने लगी.
मैंने बोल दिया- मत बताओ अब दोस्तों से बातें भी छुपाने लगी हो.
इस पर उसने मेरी तरफ देखा और बोली- रात को पढ़ाई के लिए आऊंगी, तब बता दूंगी.
दोस्तो, हो सकता है कि आपको मेरी इस पहली सेक्स कहानी में सेक्स कम मिले, लेकिन ये मेरी सच्ची कहानी है. अगले भाग में है कि मैंने अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सुहागरात कैसे मनायी. जिससे आपको मजा आएगा. इस सेक्स कहानी के लिए आपके मेल का मुझे इन्तजार रहेगा
में आपने अब तक पढ़ा कि रिंकी ने मुझसे मेरा रूमाल ले लिया था और वो रास्ते में बने एक पब्लिक टॉयलेट में चली गई थी.
मेरे कई बार पूछने पर कि क्या हुआ था, उसने कुछ नहीं बताया. मेरे जोर देने पर वो बोली कि रात को कमरे में आऊंगी तब सब बता दूंगी.
वो ये कह कर जाने लगी.
अब आगे:
उसके कदम मोड़ते ही मैंने भी बोल दिया- हां … मेरा रूमाल भी लेती आना, जैसा भी हो, वैसा ही ले आना.
इस पर वो बोली- ठीक है ले आऊँगी.
रात को 9 बजे वो आई और बैठ गई. मैंने आते ही बोल ही दिया- रूमाल ले आई?
वो कुछ नहीं बोली.
मैंने फिर पूछा- यार क्या हुआ था … अब तेरे पेट में दर्द कैसा है?
वो बोली- अभी दर्द 4-5 दिन रहेगा.
मैंने बोल दिया- तुम कोई डॉक्टर हो, जो तुमको पता है कि दर्द 4-5 दिन रहेगा.
इस पर वो फिर से चुप हो गई.
मैं बोला- नहीं बता रही हो … तो ठीक है जाओ.
इस पर वो बोली- कैसे बताऊं तुमको?
मैं बोला- मुँह से.
वो बोली- मुझे शर्म आ रही है.
फिर उसने मुझे कागज पर लिखा और दे दिया कि मेरे पीरियड्स आ गए हैं … आपका रूमाल मैंने उस टाइम इसलिए लिया था … क्योंकि मेरे पास उस पैड नहीं था. तो मैंने उसे यूज़ किया था ताकि ब्लड बाहर ना आए और तुम्हारा रूमाल पूरा ब्लड में गंदा हो गया है, इसलिए तुमको नया ला दूंगी.
मैंने पढ़ा, तो उससे कहने के लिए सर उठाया. वो जाने लगी थी.
मैं बोला- ठीक है … आगे से मुँह से बोलना, जो भी हो … और हां जाओ आज रेस्ट करो … कल एग्जाम नहीं है. इसलिए आराम से सो जाओ.
वो चली गई.
फिर हम दोनों मैसेज से बात करने लगे. हमें बात करते करते 12 बज गए. मैंने उसे गुड नाईट बोला और दोनों सो गए.
सुबह जब उठा तो पता चला कि अंकल और आंटी कहीं जा रहे थे.
अंकल ने मुझसे कहा- घर पर ही रहना रिंकी अकेली है. मैं तुम्हारी आंटी को डॉक्टर के पास ले जा रहा हूँ … शाम तक आऊंगा.
ये बोलकर वो चले गए और मैं नीचे ही उनके हॉल में बैठ कर टीवी देखने लगा.
तभी रिंकी बाहर आई और बोली- तुम यहां?
तो मैंने बोल दिया- हां, अंकल तुम्हारा ध्यान रखने लिए बोल कर गए हैं.
वो जाते हुए बोली- ठीक है … मैं नहा कर आती हूँ.
इतना बोलकर वो चली गई.
जब वो वापस आई, तो लाल रंग के गाउन को पहन कर बाहर आई. उसे देख मैं तो बस देखता ही रह गया. मैं पहली बार उसे ऐसा देख रहा था.
फिर वो मेरे पास आकर बैठ गई और बोली- हम्म … आप कहां खो गए जनाब?
इस पर मेरे मुँह से तपाक से निकल गया- आज तुम इस गाउन में कितनी सेक्सी लग रही हो.
वो बोली- अच्छा जी … सेक्सी!
ये कह कर वो हंसने लगी.
हम दोनों बात करने लगे. मैंने सोचा आज इसे अपनी दिल की बात बता दूं, पर मुझे डर भी लग रहा था कि पता नहीं इसका रिएक्शन कैसा होगा.
मैंने उससे ऐसे ही बातें चालू कर दीं और उससे पूछा- तुम्हारा बॉयफ्रेंड कौन है?
उसने जवाब नहीं दिया … उलटे मुझसे ही पूछ लिया कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड कौन है … पहले वो बताओ, फिर मैं बता दूंगी.
मैंने बोल दिया- मेरी तो कोई गर्लफ्रेंड ही नहीं है.
वो बोली- हम्म … मैं कौन हूँ फिर?
मैंने बोला- तुम मेरी फ्रेंड हो.
वो बोली- मैं गर्ल हूँ न … तो मैं हुई न तेरी गर्लफ्रेंड?
ये कह कर वो हंसने लगी, पर मैं नहीं हंसा.
इस पर वो बोली- क्या हुआ … उदास क्यों हो?
मैंने हिम्मत करके बोल दिया- मुझे आज तुमसे कुछ कहना है.
वो बोली- क्या कहना है … कहो? फिर मुझे खाना भी बनाना है.
मैंने बोला- पहले वादा करो कि तुम गुस्सा नहीं होगी … और किसी से कुछ नहीं कहोगी?
वो बोली- वो तो तुम्हारी बात पर निर्भर करता है.
मैंने उससे बोल दिया कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ और तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ.
इतना कह कर मैं चुप हो गया.
उसने कुछ नहीं कहा, तो मैं ऊपर अपने रूम में आ गया.
उस दिन हमारी कोई बात नहीं हुई. शाम को अंकल आंटी आ गए और मैं उनकी तबियत के बारे में पूछ कर ऊपर आ गया. मैंने रिंकी से कुछ नहीं बोला.
ऐसे ही हमारे एग्जाम खत्म हो गए और मैं अपने घर जाने की तैयारी करने लगा क्योंकि अब एक महीने के लिए कॉलेज की छुट्टियां भी हो गई थीं.
मैं घर आ गया और हमारी इस बीच कोई बात नहीं हुई. जब मैं वापिस आया तो वो मुझे देख कर खुश हुई, पर मैंने बात नहीं की.
ऐसे ही मुझे आए हुए दस दिन हो गए. मैं कॉलेज जाने लगा था. वो भी जाने लगी थी.
एक दिन कॉलेज से आते वक्त बारिश का मौसम हो गया. अब जुलाई में बारिश होती है.
मैं अपनी बाइक पर आने लगा, तो वो मुझे बोली- मैं भी तुम्हारे साथ बाइक पर चल रही हूँ … क्योंकि बारिश कभी भी आ सकती है.
यह कह कर वो बैठ गई.
मैं बाइक स्टार्ट करके चलाने लगा. पर न तो वो बोल रही थी, ना ही मैं.
कुछ ही देर में हम दोनों घर पहुंचने वाले ही थे कि तेज़ बारिश आ गई और मैं तेज बाइक चलाने लगा.
वो बोली- रुक जाओ यहीं कहीं पर … बारिश में मुझे भीगना नहीं है.
मैंने बाइक को एक शॉप के पास रोक दी और उस शॉप के पास जगह देख कर हम दोनों खड़े हो गए.
वो बोली- मुझसे नाराज़ हो क्या … जो बात नहीं कर रहे हो मुझसे?
मैंने बोल दिया- जब तुमने मेरी बात का जवाब ही नहीं दिया, तो तुमको मैं क्या बोलूं और क्या बात करूं?
इस पर वो चुप रही और थोड़ी देर बाद बोली- ठीक आज रात तक मैं अपना जवाब बता दूंगी.
फिर बारिश कुछ कम हुई तो हम घर आ गए. अब मैं उसके जवाब का इंतज़ार करने लगा.
लगभग 9.30 बजे वो ऊपर आई और मेरे सामने खड़ी हो गई. मैंने उसे देखा तो एक पल मेरी आँखों में आँखें डाल कर बोली- मैं भी तुमको पसंद करती हूं … पर अपने पापा के डर से मैं बोल नहीं पा रही हूँ … और तुम भी नाराज़ हो मुझसे … इससे मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है … प्लीज तुम मुझसे नाराज़ मत रहो, मैं भी तुमसे प्यार करती हूं.
इतना कह कर वो मेरे गले से लग गई और हम दोनों एक दूसरे से ऐसे चिपक गए कि कुछ होश ही नहीं रहा. इस समय दिल को बड़ा सुकून मिल रहा था.
हम दोनों को गले लगे हुए 15 मिनट हो गई थी. तभी किसी के ऊपर आने की आवाज से हम दोनों अलग हो गए.
अंकल ऊपर आ रहे थे.
फिर हम दोनों अगल होकर ऐसे ही पढ़ाई की बात कर रहे थे तो अंकल पूछने लगे- घर में सब कैसे हैं?
मैंने बोला- सब ठीक हैं अंकल.
अंकल थोड़ी देर में चले गए. फिर वो भी जाने लगी, तो मैं उसे देखने लगा.
वो बोली- अब तो खुश हो तुम?
मैंने बोला- हां.
वो जाने लगी तो मैंने बोला- एक किस तो दे दो.
वो बोली- समय आने पर!
इतना कह कर चली गई.
उस दिन रात को हम दोनों बहुत देर तक फ़ोन से बात करते रहे.
सुबह जब उठा, तो वो काफ़ी खुश लग रही थी. मैंने कुछ पूछा नहीं, वो कॉलेज के लिए तैयार होकर जा रही थी. मैं भी तैयार होकर निकलने वाला था, तो उसने मुझे स्टैंड पर मिलने को कहा.
आज उसने कॉलेज ड्रेस नहीं पहना था. उसने एक पिंक कलर का सूट पहन रखा था, जिसमें वो बहुत सुंदर लग रही थी. मैं बाइक लेकर स्टैंड पर उसका इन्तजार करने लगा.
दस मिनट बाद वो आई और बाइक पर बैठते ही बोली- चलो.
मैंने पूछा- कहां?
वो बोली- जहां मन हो … वहां!
मैंने पूछा- कॉलेज नहीं जाना?
वो बोली- आज का दिन तुम्हारे लिए है … तुम कहीं भी ले जाओ, पर कॉलेज की छुट्टी के टाइम तक वापिस आ जाना.
मैं उसे राजमंदिर सिनेमा घर ले गया उस टाइम वहां हेट स्टोरी 2 मूवी लगी थी. मैंने दो टिकट साइड वाली सीट की ले लीं और हम हॉल में जाकर फिल्म देखने लगे.
इस दौरान मैं कभी कभी उसे छू लेता, तो वो कुछ नहीं बोलती. मेरी हिम्मत बढ़ने लगी. मैंने एक झटके से उसके मम्मों पर हाथ रख दिया.
उसने एकदम से मेरा हाथ हटा दिया और बोली- कोई देख लेगा.
इस पर मैं कुछ नहीं बोला और उससे बोला- एक किस दे दो, मैं फिर कुछ नहीं करूंगा.
इस पर उसने बहुत इधर उधर देख कर मुझे एक किस कर दिया. हम दोनों मूवी देखने लगे. जब मूवी खत्म हो गई तो हम दोनों घर आ गए. अब हमारी देर रात तक रोज़ बात होने लगीं.
धीरे धीरे हमारी सेक्सी बातें भी बहुत ज्यादा होने लगीं. हमारा सेक्स करने का भी मन करने लगा, पर घर पर सब होते थे.
तीसरे दिन अंकल और आंटी और उनकी दोनों बहुएं अपने पतियों के साथ चली गई थीं.
हम दोनों ऐसे ही किसी सही टाइम का इंतज़ार करने में लगे थे.
अंकल आंटी शाम को लौट आए मगर दोनों भाई भाभी एक हफ्ते के लिए बाहर गए हुए थे.
उस दिन सुबह अंकल के पास किसी का फ़ोन आया. तो अंकल ने मुझे बुलाया और कहा कि बेटा मैं और तेरी आंटी 3-4 दिन के लिए एक रिश्तेदार के यहां जा रहे हैं. रिंकी घर पर ही है, तुम उसका और अपना ध्यान रखना.
मैंने पूछा- आपको कितने बजे जाना है?
वो बोले कि हम दोनों शाम की ट्रेन से जाएंगे. तुम ध्यान रखना और नीचे ही सो जाना.
इतना कह कर वो अपने जाने की तैयारी में लग गए. शाम को 9 बजे की उनकी ट्रेन थी, वो चले गए.
फिर मैं रिंकी के पास गया और बोला- अब क्या प्लान है रानी साहिबा का?
इस पर वो बोली- जैसा आप चाहो … वो ही होगा हुक्म साहब.
हम दोनों हंसने लगे.
रात को खाना खा कर हम सोने ही वाले थे. हमने एक ही रूम में दो बिस्तर ठीक कर लिए थे. हम दोनों बात कर रहे थे कि हमारे बीच सेक्सी बातें शुरू हो गईं. इसलिए हम दोनों एक ही बिस्तर पर आ गए. मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी.
हम दोनों को किस करते हुए 20 मिनट हो गए थे. हम दोनों अलग हुए और एक दूसरे को देखने लगे. हम दोनों के चेहरे पर बहुत खुशी थी.
तभी बारिश होना शुरू हो गई. हम ऐसे ही लेटे रहे. फिर मैंने धीरे धीरे उसके मम्मों पर हाथ रखकर दबाने लगा … जिससे उसके मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
हम दोनों ने किस करना स्टार्ट कर दिया. इस दौरान धीरे धीरे मैंने उसके मम्मों को दबाता रहा. साथ ही मैं अपना एक हाथ नीचे ले गया और अपना हाथ अन्दर डाल कर उसकी चूत पर उंगली करने लगा. इससे वो गरम होने लगी उसके मुख से वासना भारी आवाज निकलने लगी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और उसकी चुत से पानी आने लगा.
मैं उसकी टी-शर्ट को बाहर निकालने लगा, तो वो मना करने लगी. लेकिन फिर मान गई और उसने अपनी टी-शर्ट निकलवा ली. धीरे धीरे हम दोनों पूरे नंगे हो गए और दोनों 69 की पोजीशन में एक दूसरे के अंगों से खेलने लगे.

मैंने उसकी चुत पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा, जिससे वो बहुत ज्यादा गर्म हो गई. कुछ पलों बाद उसकी चुत ने अपना पानी छोड़ दिया और वो निढाल होकर लेट गई.
मैंने उससे अपना लिंग मुँह में लेने को बोला, तो वो मना करने लगी. मगर फिर मेरी जिद के कारण उसने लंड मुँह में ले लिया और धीरे धीरे पूरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. करीब पांच मिनट बाद मैं आने वाला हुआ, तो मैं उसके मुँह में ही निकल गया. उसने भी थोड़ा सा पानी पी लिया, बाकी बाहर निकाल दिया.
मैं उसे फिर से किस करने लगा, जिससे अब वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई. मैं अपना लिंग उसकी चुत पर रगड़ने लगा.
वो बहुत तड़प रही थी और बोल रही थी- जल्दी से अन्दर डाल दो.
मैंने धीरे से लंड चुत के अन्दर डाला, तो उसे दर्द होने लगा. वो मुझसे लंड बाहर निकालने को बोल रही थी. मैंने उसकी नहीं सुनी और पूरा लंड चुत में अन्दर ही डाल दिया और रुक गया.
वो दर्द से कराह रही थी. मैं उसके एक दूध को चूसता रहा और दूसरे को मसलता रहा. इससे उसका दर्द कम हो गया. मैंने ये जाना, तो एक जोर का झटका लगा दिया. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चुत में चला गया था. वो रोने लगी, तो मैं रुक गया.
मैंने नीचे देखा, तो चादर पर खून आ गया था. शायद उसकी पहली बार की चुदाई थी इसलिए उसकी सील टूट गई थी.
उससे मैंने पूछा- पहली बार कर रही हो?
तो वो बोली- हां, आज मेरा पहली बार है.
मैंने बताया- हां, पहली बार में दर्द होता है. पर मज़ा भी आता है.
हम दोनों एक दूसरे को किस करते हुए प्यार कर रहे थे. लंड चुत में अपनी जगह बना रहा था.
कुछ मिनट ऐसे ही गुजर गए और फिर उसने अपने चूतड़ उठा कर मुझे इशारा किया तो मैंने उस कमसिन लड़की की चुदाई शुरू कर दी. वो भी मेरा साथ देने लगी.
बीस मिनट तक हमारा चुदाई युद्ध चलता रहा. इस बीच वो 2 बार झड़ चुकी थी और अब मैं आने वाला था.
मैंने लंड बाहर निकाल कर उसके मम्मों पर अपना पानी डाल दिया और उसके बगल में लेट गया. फिर हम दोनों सो गए. सुबह जब आंख खुली, तो देखा वो सो रही थी.
मैंने उसे जगाया, तो उसने चादर पर खून देखा. वो रोने लगी. मैंने उसे समझाया, तो वो चुप हो गई.
अब हम दोनों खुल चुके थे. उस दिन हम दोनों ही कॉलेज नहीं गए. सारा दिन मस्ती चलती रही.
उन 3 दिनों में हम दोनों कुल 15 बार चुदाई की. चौथे दिन अंकल आंटी आ गए. अब हमें जब भी मौका मिलता, हम सेक्स करने लगे.
इस बीच वो एक बार प्रेग्नेंट भी हो गई थी. उस मुसीबत से कैसे निजात मिली … वो मैं आपको अपनी अगली सेक्स कहानी में बताऊंगा.