ये रियल कहानी है मेरी चाची के साथ मेरे पहले अनुभव की। मैं कुछ दिनों से चाची के ही चक्कर में रहता था। कब वो घर में से निकले और मैं उन्हें देखूं। और जब हो बाहर पेशाब करने जाती, तो मैं चोरी से देखता था। कई बार तो मैंने उनको पेशाब करते देखा था। मैं उनकी गोरी-गोरी गांड देखता, और गांड देख मुठ मारता। ऐसे ही चल रही थी मेरी ज़िंदगी।
कई बार बार तो मैंने अपने मोबाइल से उनकी गांड की फोटो खींची थी, जब वो पेशाब करने जाती। फिर उनकी गांड देख के रात में मुठ मारता और मन ही मन ये सोचता काश ये गांड मारने को मिल जाए तो क्या मजा आयेगा। उनकी गांड एक-दम शीशे के जैसी चमक जाती जब मैं उनको पेशाब करते देखता चोरी से।
फिर एक दिन तो ऐसा लगा चाची ने मुझे देख लिया। लेकिन उन्होंने नहीं देखा था मुझे। वो जब नहा के आती थी तो उनकी पेंटी वही मोरी में टांग देती थी। और कभी-कभी तो पेंटी बिना धोये ऐसे ही बाल्टी में साड़ी के साथ रख देती थी। मैं मौका देख के चोरी से जाके उनकी पेंटी अपने लंड पे रख के मुठ मारता था।
जब वो पेंटी उतार के रख के जाती थी, तो मैं देखता उनकी पेंटी में सफेद सफेद चूत का रस लगा रहता था। मैं तो उसे चाट लेता था। फिर पेंटी को लंड में फसा के मुठ मारता था। फिर मैं उनकी पेंटी वही बाल्टी में रख के चला जाता था। उन्हें ये सब पता भी नहीं चलता था। कभी-कभी उनके नहाने के पहले ही उनकी पेंटी में मुठ मार देता था। फिर उनकी पेंटी जहां रहती वहीं रख देता। उनकी काले कलर की पेंटी में बहुत हिलाया हूं अपना लंड।
मैं अपनी चाची का बदन बता देता हूं। उनका शरीर बहुत गोरा है। उनकी चूची बड़ी-बड़ी है। कोई भी उनकी चूची देख के गर्म हो जाए। उनकी चूची का साइज 36″ होगा मेरे ख्याल से, और उनकी मोटी-मोटी गांड क्या कयामत लगती है। मेरी चाची के 2 बच्चे है। कोई उनको देख के नहीं बता सकता वो 2 बच्चे की मां है। उनका फेस बिल्कुल गोरा है। मेरा उन्हे देख के मन करता है उनके होंठो और गालों को खा जाऊं। क्या माल लगती है मेरी चाची।
जब सारी पहनती है तो उनकी नाभी दिखती है। उनकी नाभी देख के मैं कितनी बार हिला देता था। नाभी एक-दम गहरी खाई की तरह लगती है। उनकी नाभी में ही चाहे कोई शराब डाल के पी ले, इतनी गहरी है नाभी। गोरा-गोरा बदन देख के तो किसी भी का लंड खड़ा हो जाए।
उनकी गांड की तो बात मत करो। ऐसी गादरायी गांड को देख तो लंड हिल जाए किसी का भी। ये तो हो गई उनकी बात। अब शुरू करते है कैसे मैंने उनको पेला।वैसे तो मैं अपनी चाची को बहुत दिन से चोदना चाहता था। उनको याद करके कई बार मैंने हिलाया था। उनको नहाते वक्त, सारी बदलते वक्त, देख-देख के मेरा लंड खड़ा ही हो जाता था। फिर एक दिन-
जब रोज शाम होती तो वो छत पे चली जाती थी। वहीं छत पे लेट जाती थी चटाई बिछा के। मैं भी जाता था छत पे अपनी खाट पे लेटने के लिये। चाची लेटी थी चटाई पे, और फ़ोन पे बात कर रही थी। उस दिन मेरी खाट नहीं थी छत पे। मैंने देखा चाची लेटी थी, और बात कर रही थी। मैं भी गया छत पे चटाई पे बैठ गया, और वो बात करने में मस्त थी। छत पे बिल्कुल अंधेरा था।
उनको पता चला मैं आके बैठा था उनकी चटाई पे। मैं अपना फ़ोन चला रहा था, और मैं धीरे-धीरे सरकते-सरकते उनके पास चला गया और उनका शरीर मेरी बॉडी से छूने लगा। वो बात कर रही थी फ़ोन पे, और मैं धीरे-धीरे उनको छूने लगा। उनको शायद पता चल गया होगा मैं उनको छूने लगा था, लेकिन उन्होंने कुछ बोला नहीं। वो फ़ोन पे बात करती रही थी, और मैं उनके पैर की तरफ चला गया।
फिर मैंने पहले पैर को छुआ और वहीं अपना हाथ रखे रखा पैर पे। जब उनकी तरफ से कोई हलचल नहीं हुई, तो मैं और आगे बढ़ गया और धीरे-धीरे और ऊपर चला गया। मैं उनके पेट के तरफ चला गया, और फिर उनके कमर पे धीरे से हाथ रखा। जब मैंने देखा वो कुछ नहीं बोल रही थी, फिर मेरा मन और करने लगा कि और आगे बढ़ूं।
फिर धीरे-धीरे मेरा हाथ उनकी कमर पे चला गया। उसके बाद मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी गांड पे रख दिया। पहले तो रखा रहा हाथ उनकी गांड पे कुछ टाइम। जब वो कुछ नहीं बोली, तो मैं धीरे-धीरे गांड पे हाथ फेरने लगा। जब मैंने देखा वो कुछ नहीं बोल रही थी, तो मैं अपना हाथ उनकी गांड पे चलाने लगा। मुझे लग रहा था, वो अब गरम होने लगी थी।
शायद फ़ोन पे किसी से बात नहीं कर रही थी, बस ऐसे ही दिखा रही थी मुझे कि बात कर रही थी फ़ोन पे। जब वो कुछ नहीं बोली तो मैं उनकी साड़ी खींचने लगा, और उनकी साड़ी खींच के उपर कर दी। मैंने देखा उन्होंने पेंटी भी नहीं पहनी थी।
उनकी गांड क्या मस्त थी यार, मेरा तो दिमाग खराब हो गया। मन कर रहा था अभी उनकी गांड में अपना लंड डाल दूं।
लेकिन ऐसे तुरंत नहीं करना था। फिर मैं गांड को सहलाता रहा। उनकी गांड बहुत बड़ी थी यार। मेरा मन कर रहा था जीभ लगा के चाट लूं। फिर मैं धीरे से अपना हाथ उनकी चूत की तरफ ले गया।
जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पे गया, तो वो थोड़ा हिल गई। फिर मैंने उनकी चूत पे अपना हाथ लगा ही दिया। मुझे पता चला की उनकी चूत गीली हो गई थी। फिर मैंने उनकी चूत में एक उंगली डाल दी अपनी। जैसे ही मेरी उंगली गई, वो चिहुक गई। उनकी मुंह से आह निकल गई। फिर मैं समझ गया आज मेरा काम बन गया गया था, अब और आगे काम किया जाए।
इससे आगे मैंने क्या किया, और आगे क्या क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा। अगर आपको कहानी अच्छी लगी हो, तो कमेंट करके जरूर बताएं।
मैं अपनी उंगली चूत में डाल के आगे-पीछे करने लगा। फिर मैं दो उंगलियां डालने की कोशिश किया वैसे ही। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया, फिर छोड़ भी दिया। मुझे लगा दो उंगली डालने से उन्हें दर्द हो रहा था।फिर मैं एक ही डाल के आगे-पीछे करने लगा, और वो धीरे-धीरे से आह आह कर रही थी। अब मेरे से रहा नहीं गया। मेरा लंड एक-दम खड़ा हो गया था।
चाची एक-दम गरम हो गई थी। उनके मुंह से आह आह की आवाज निकलने लगी। मैं अब उनके उपर की ओर चला गया। फिर मैंने उनके होंठों पे अपने होंठ लगा दिए। अब वो बिल्कुल गरम हो गई थी। मैंने अपने हाथों से उनकी ब्रा खोल दी। उनके बड़ी-बड़ी चूची मेरे हाथों में नहीं आ रहा थी। मैं अपने दोनो हाथों से चूची दबाने लगा। मैंने उनको पूरी नंगी कर दिया।
अब वो बिना कपड़ो के हो गई थी। मैं तो बस हाफ पैंट में था। मेरा लंड कड़क हो गया था लोहे की तरह। मैंने चाची का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया। जैसे ही उनका हाथ मेरे लंड पे लगा, उन्होंने अपना हाथ हटा लिया। फिर वो धीरे से बोली, “बाप रे, इतना बड़ा है तुम्हारा लंड?” मैं बोला, “क्या हुआ चाची?” वो बोली, “तुम्हारा बहुत बड़ा है। मुझे नहीं करवाना।”
ये सुन कर मैं बोला, “कुछ नहीं होगा चाची।” चाची कुछ टाइम मनाने के बाद तैयार हुई। उनको मैं अब गरम करना चालू किया। छत पे बिल्कुल अंधेरा था, और सब घर वाले नीचे घर पे टी.वी. देखने में मस्त थे, और मैं चाची छत पे लगे थे। फिर मैंने अचानक से चाची की चूत पे अपना मुंह रख दिया।
जैसे ही मेरा मुंह उनकी चूत पे लगा, चाची चिहुक गई। वो बोली, “क्या कर रहे हो? ये मत करो।” लेकिन मैं नहीं माना, और चूत पे अपनी जीभ चलाने लगा। जैसे ही मेरी जीभ उनकी चूत में गई, वैसे ही वो आह आह करने लगी और मेरा सिर पकड़ के अपनी चूत पे दबाने लगी। लगभग 5 मिनट के बाद चाची की चूत पानी छोड़ दिया। जैसे ही वो पानी छोड़ने लगी, वो चिल्लाने लगी, “आह आह, ऐसा मत करो।”
लेकिन मैं नहीं माना, और अपना काम जारी रखा। मैं उनकी चूत का सब पानी चाट गया। अब चाची को मैंने बोला, “मेरे लंड पे किस करो।” पहले तो उन्होंने मुझे मना किया। लेकिन फिर मेरे बार-बार बोलने पे वो तैयार हो गई। जब किस कर रही थी तब उनका मुंह खुला। तो मैंने अचानक से अपना लंड उनके मुंह में डाल दिया। चाची डर गई कि इतना बड़ा लंड चला गया उनके गले तक। वो मुझे धक्का देने लगी, लेकिन मैंने उनका सिर पकड़ के दबाये रखा।
उनकी आंखों में पानी आ गया। अब वो मना करने लगी, “अब कुछ मत करो।” फिर मैंने सोचा ज्यादा हो गया तो मेरा काम बिगड़ जायेगा। और फिर से मैंने सारी उठा के चूत पे मुंह लगा दिया। अब मैं जल्दी-जल्दी जीभ चलाने लगा। धीरे-धीरे वो फिर गरम हो गई। चाची जब ज्यादा गरम हो गई तो बोलने लगी, “डाल दो अपना लंड मेरी चूत में।” मैं बोला, “इतना बड़ा मेरा लंड है सह लोगी कि नहीं?” वो बोली, “डालो, जो होगा देखा जायेगा। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है।”
फिर मैंने भी लंड को चूत पे सेट किया। तभी वो बोली, “धीरे से डालना।” मैं कुछ नहीं बोला, और मैंने सीधा जोर से पेल दिया। मेरा आधा लंड अंदर गया, और वो जोर से चिल्लाई, “मर गई मैं, निकालो लंड अपना। बहुत बड़ा है लंड तुम्हारा।” मैं बोला, “अभी तो बस आधा ही गया है।” वो रोने लगी और बोली, “मैं मर जाऊंगी, छोड़ दो मुझे नहीं करवाना।” लेकिन मैं अब नहीं मानने वाला था।
फिर मैं थोड़ा रुका, और उनकी चूची दबाने लगा, और किस करने लगा। चूची को मुंह में लेके पीने लगा। उनकी बड़ी-बड़ी चूची लाल हो गई। इससे थोड़ा उन्हें आराम मिला। जब मैंने देखा वो अब आहें भर रही थी, और उन्हें अब अच्छा लग रहा था, फिर मैंने अपना लंड थोड़ा पीछे लिया, और पूरी ताकत के साथ पेल दिया। चाची की तो हालत खराब हो गई।
वो कुछ बोल नहीं पा रही थी। आंखे ऊपर चढ़ गई उनकी। बेहोशी जैसी हालत हो गई थी। मैं रुका नहीं, और जोर-जोर से पेलता रहा। फिर अचानक से चाची रोने लगी। वो रो रही थी, और मैं पेलता रहा। कुछ टाइम के बाद वो शांत हुई। जब मेरा लंड थोड़ा चूत के अंदर जगह बना लिया, तब उन्हें थोड़ा मजा आने लगा। तब वो आह आह करने लगी। मैंने देखा चूत से खून आ गया। लेकिन मैंने उनको बताया नहीं। मैं बस उनको पेलता रहा।
15 मिनट में चाची की चूत जवाब दे दी। चाची झड़ गई, और उनकी चूत से पानी बहने लगा। चाची बोली, “बस करो, अब मत करो।” लेकिन मैं कहा रुकने वाला था। मेरा अभी नहीं निकला था पानी। तो मैं पेलता रहा। अब मेरा निकलने वाला था। चाची बोली, “बाहर निकालना अपना पानी।” लेकिन मैं पेलते-पेलते रुका ही नहीं, और सब वीर्य उनकी चूत में निकाल दिया। चाची बोली, “नहीं-नहीं”, लेकिन मैं उनकी चूत में ही झड़ गया।
मैं उनके ऊपर लेट गया। मेरा लंड सिकुड़ गया था। फिर चाची मुझे धक्का दे कर साइड किया। उनकी चूत को देखा तो एक-दम हालत खराब हो गई थी। चूत का भोंसड़ा बन गया था। चाची खड़ी नहीं हो पा रही थी बराबर। मैंने पकड़ के खड़ा किया उन्हें। वो जब चलने लगी तो चल भी नहीं पा रही थी। मैंने उनको खाट पे पकड़ के बिठाया।
थोड़ा टाइम वो बैठी, तब थोड़ा चलने लायक हुई। वो सीड़ी से उतर रही थी तो उन्हें दर्द हो रहा था। उनको पीछे से देखा तो उनकी गांड मारने का मन करने लगा। चाची ने बताया था उनकी गाड में आज तक लंड नहीं गया था। मैंने सोचा अपने मन में, चूत चोदने में इतना दर्द से चिल्ला रही थी, गांड मार लिया तो क्या हाल होगा चाची का?
यही सब मैं सोच रहा था खाट पे बैठ के, और चाची नीचे चली गई खाना खाने। फिर उनकी मैंने गांड मारी नीचे घर में, वो कहानी इसके आगे लिखूंगा दोस्तों। कैसी लगी ये मेरी रियल कहानी कमेंट करके जरूर बताना।